Créditos

PERFORMING ARTISTS
Seedhe Maut
Seedhe Maut
Performer
Sez on the Beat
Sez on the Beat
Remixer
COMPOSITION & LYRICS
Sajeel Kapoor
Sajeel Kapoor
Songwriter
Abhijay Negi
Abhijay Negi
Lyrics
Siddhant Sharma
Siddhant Sharma
Lyrics
PRODUCTION & ENGINEERING
Sez on the Beat
Sez on the Beat
Producer

Letra

ऐसा लगे यहां छीन के ही लेना है
जो लेना है दिलाने वाला कोई नहीं है
यहां सोना है तोह आँखें खोले सो
तेरे पीछे यहाँ सुलाने वाला हर कोई है
आँखें खोलो देखो, आँखें खोलो देखो
बापू बोले कोई गाल पे तमाचा दे
तोह दूजा भी उसी के आगे देदो
मैं बोला क्यूं, हाँ? ऐसे ही जाने दूँ क्यूं?
दहाड़ूँ जैसे किंग-कोंग भागे, सारे कीड़े
कभी सपने थे फ्री, के अब ये मुझी को खरीदे
पड़े पीछे मेरे, क्यों हाँ? ऐसे ही जाने दूँ क्यों?
है घिसा मैंने तीन साल ख़ुदको, मैं जागा तीन रात
आँख लाल मेरी, लिखी तीन बात तेरे लिए
फिर क्यूं हाँ? ऐसे ही जाने दूँ क्यूं?
ये जो एक बार चली जाए, वो बाज़ी फिर लौटके ना आए
खो जाए, कहां जाए, वो हो जाए
बेटा फ्यू हाँ, तोह फिर ऐसे ही जाने दूँ क्यों?
ऐसे ही जाने दूँ क्यों? ऐसे ही जाने दूँ क्यों?
ये वक्त तेरा आका है
यही तेरा दोस्त, तेरा सांझा है
ये घाव भर जाता है
यही घाव कर जाता है
चला हाथों की लकीरों पे, निगाहें करी तीखी
महंगी पड़ी बड़ी ज़्यादा, जो सलाहें ली थी फ्री की
लिखी बीती, पड़ी बाधा, थी किताबें मेरी फ्री की
जीती घड़ी-घड़ी आशा करी, मिर्ची भी मीठी
मारी सीटी पूरा देश घूम गया
दिल की सुनी तोह पूरा देश मूत गया
एक महीना खिचेगा तेरा हफ्ता
आधे आशिकों को यहाँ पे कलेश चूम गया
था मैं, बैठा कोने में थी नज़रे सभी पे
जिगरा नि किसी पे, ये धी के
पैसों के पुजारी, बने फिरे इनकी बत्तिया बनादी
फिर जला दिया, वो भी बिना घी के
मौत आये सीधे
सीधे होते काश के ये
पर निकले ये चीनी से भी ज़्यादा मीठे
मेरा वक्त हाथ से, निकले हो जैसे रेत देख के
भी दिखे नहीं ये झूठ था सफेद शायद
सही और गलत अब कोई मायने ना रखे मेरे लिए
हूं मैं एक गायक, एक लायक, एक नायक
लेके चलूँ अपने उपर एक दायित्व
के तू दुनिया मेरी नज़रों से भी देख शायद पाएगा कभी
पूरा खेल यहां हाथ धैरे बैठा
मेरा काम शमशान था बनाना
तेरे लिए ज्ञान मैंने बता
फिर झाँक मेरी आंखों में और बोल मुझे
क्यूं, हाँ? ऐसे ही जाने दूँ क्यूं?
दहाड़ूँ जैसे किंग-कोंग भागे, सारे कीड़े
कभी सपने थे फ्री, के अब ये मुझी को खरीदे
पड़े पीछे मेरे, क्यों हाँ? ऐसे ही जाने दूँ क्यों?
है घिसा मैंने तीन साल ख़ुदको, मैं जागा तीन रात
आँख लाल मेरी, लिखी तीन बात तेरे लिए
फिर क्यूं हाँ? ऐसे ही जाने दूँ क्यूं?
था छिना पूरा घर बार कबके था ठीक ही
काली नज़रें गड़ाएँ बैठें, कीड़े पड़े इन्हे
पढ़े पीछे मेरे क्यूं हाँ? तोह फिर ऐसे ही जाने दूं क्यूं?
ऐसे ही जाने दूँ क्यों? ऐसे ही जाने दूँ क्यों?
जनाब, दिन आज का हो, या राजाओं के ज़माने का
इंसान साला हर डर से निकल गया है
चोरी का, नशे का, ज़िंदगी का डर
एक डर रह गया, समाज का डर, हैं?
इन सब ने हद्द करी
दुनिया की मानेगा तो हर घड़ी हाथ कड़ी
पुधिया निकालेगा तो ज़प्त तेरी हर कली
हट कर ही हुलिया क्यूं सुनेगा किसीकी ख़ुद है
जो किल्सा सभी से ऐसी गांडू करे हरकत ही क्यूं?
बनी तुम्हारे लिए सूली, पर चढ़ते तुम सर पर ही क्यों?
पैसा, नशा, प्यार है बनने लगा दलदल
ये ना, ये ना छोड़े कभी होने लगी खलबली
क्यूं ना निकले मुंह से इनके छू अब
बहुतों की खपी मेरी छवि कभी पाओगे ना छू अब
मैं भाव भी ना दूं अब, भले सड़े, लगे बुरा
जिससे पड़े गले लगे छुरी घोंपे
पीछे लगा कि गोली गई छू कर एक
अपने भी तोड़े दिल क्यों पर?
सालों से चारों के बीच है क्यूं दर?
क्यूं कर गौर, और इन्हीं बातों पे फूक कर
ए, ट्रिप फँसी क्यूं, सड़ी ये बसी झूठ पर, है थूट पर
देने का दो मन भिड़ेगा तोह गंद फैलेगा
सेहले, क्या केहलेगा करूँ हश्र ऐसा भैदा अगर तेरे चेहरे का
कहर है क्यों कहनेका
बस फटी जब है सुना सच है पूरा देश घूम गया
ख़ुद की सुन्नी तो सारा गेम रूल किया
माता भागके चढ़ेगी ज़्यादा फुड्डी मिलेगी
साली बुद्धि सूझी तो पूरा भेष भूल गया
भला क्यूं, हाँ? ऐसे ही जाने दूँ क्यूं?
दहाड़ूँ जैसे किंग-कोंग भागे, सारे कीड़े
कभी सपने थे फ्री, के अब ये मुझी को खरीदे
पड़े पीछे मेरे, क्यों हाँ? ऐसे ही जाने दूँ क्यों?
है घिसा मैंने तीन साल ख़ुदको, मैं जागा तीन रात
आँख लाल मेरी, लिखी तीन बात तेरे लिए
फिर क्यूं हाँ? ऐसे ही जाने दूँ क्यूं?
ये जो एक बार चली जाए, वो बाज़ी फिर लौटके ना आए
खो जाए, कहां जाए, वो हो जाए
बेटा फ्यू हाँ, तोह फिर ऐसे ही जाने दूँ क्यों?
ऐसे ही जाने दूँ क्यों? ऐसे ही जाने दूँ क्यों?
Written by: Abhijay Negi, Mandhir Singh, Sajeel Kapoor, Siddhant Sharma, Taz Ahmed
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