Слова
ये रात, ये चाँदनी फिर कहाँ
सुन जा दिल की दास्ताँ
ये रात, ये चाँदनी फिर कहाँ
सुन जा दिल की दास्ताँ
Hey, पेड़ों की शाख़ों पे...
पेड़ों की शाख़ों पे सोई-सोई चाँदनी
पेड़ों की शाख़ों पे...
तेरे ख़यालों में खोई-खोई चाँदनी
और थोड़ी देर में थक के लौट जाएगी
रात ये बहार की फिर कभी ना आएगी
दो-एक पल और है ये समाँ
सुन जा दिल की दास्ताँ
Hey, लहरों के होंठों पे...
लहरों के होंठों पे धीमा-धीमा राग है
लहरों के होंठों पे...
भीगी हवाओं में ठंडी-ठंडी आग है
इस हसीन आग में तू भी जल के देख ले
ज़िंदगी के गीत की धुन बदल के देख ले
खुलने दे अब धड़कनों की ज़बाँ
सुन जा दिल की दास्ताँ
ये रात, ये चाँदनी फिर कहाँ
सुन जा दिल की दास्ताँ
दास्ताँ, दास्ताँ
Writer(s): Ludiavani Sahir, S Burman
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