Видео

Видео

Создатели

Слова

न मत्रं नो यन्त्रं तदपि च न जाने स्तुतिमहो
न चाह्वानं ध्यानं तदपि च न जाने स्तुतिकथाः
न जाने मुद्रास्ते तदपि च न जाने विलपनं
परं जाने मातस्त्वदनुसरणं क्लेशहरणम्
हे, जगत जननी! मैं ना मंत्र जनता हूँ, ना तंत्र जानता हूँ
आह्वान, ध्यान और स्तुति-कथा से भी मैं अज्ञान हूँ
तेरा स्वरूप, तेरी मुद्रा और विविध पाठों को भी मैं नहीं जानता
केवल मैं इतना जानता हूँ कि तेरा शरण क्लेश हरण है
Written by: Traditional
instagramSharePathic_arrow_out

Loading...