Слова
ये पहली बारिश की बूँदें
कुछ कहना चाहती हैं तुमसे, सुन ज़रा
ये दो दिलों की हैं बातें
जो कह ना पाई मैं ख़ुद से, सुन ज़रा
ये पहली बारिश की बूँदें
कुछ कहना चाहती हैं तुमसे, सुन ज़रा
जो कह ना पाई मैं ख़ुद से
ये दो दिलों की हैं बातें, सुन ज़रा
भीग जाऊँ तेरी मैं इन बाँहों में ऐसे
जैसे लिपटे हुए दो दिल यहाँ
भीग जाऊँ तेरी मैं इन बाँहों में ऐसे
जैसे लिपटे हुए दो दिल यहाँ
मिल रहे हैं जैसे आसमाँ और बारिश
हो रहीं पूरी दिल की ख़्वाहिशें
कह भी दे जो है छिपा तेरे दिल में
वक़्त कर रहा अब मीठी साज़िशें
खोने लगे जैसे दिन के उजाले
वैसे ही मैं गुम हो गई
ये बहकी-बहकी हवाएँ
कुछ कहना चाहती हैं तुमसे, सुन ज़रा
ये गूँजते हुए बादल
जो कह रहे हैं ये मुझसे, सुन ज़रा
पहली बारिश...
पहली बारिश...
पहली बारिश...
Writer(s): Akanksha Bhandari
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