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Создатели
ИСПОЛНИТЕЛИ
Narci
Исполнитель
МУЗЫКА И СЛОВА
Nirinjan Kaur
Автор песен
Ram Dass Khalsa
Автор песен
Matthew Schoening
Автор песен
Слова
जय नारायण
स्वामी, नारायण
जय नारायण
अलख निरंजन, भवभय भंजन
जनमन रंजन दाता (जनमन रंजन दाता)
हमें शरण दे अपने चरण में
कर निर्भय जगत्राता (कर निर्भय जगत्राता)
तूने लाखों की नैया तारी-तारी, हरि-हरि
(जय-जय, नारायण-नारायण, हरि-हरि)
(स्वामी, नारायण-नारायण, हरि-हरि)
तेरी लीला सब से न्यारी-न्यारी, हरि-हरि
(तेरी लीला सब से न्यारी-न्यारी, हरि-हरि)
तेरी महिमा, प्रभु, है प्यारी-प्यारी, हरि-हरि
पिता थे कश्यप और दिति थी माँ
हरि का वैरी था, सुनो वो नाम
हिरण्यकश्यप था राजा घमंडी
स्वयं को कहता था बस, "भगवान"
ब्रह्मा का तप था किया कठोर
देवों ने उसको था रोका बहुत
आँधी भी भेजी और भेजा तूफ़ान
पर रुके ना उसके होंठों के बोल
तप का भाव था उसका अटल
देवों ने रोका पर रहा अचल
ज़ोर था ऐसा उसकी अटलता में
ब्रह्मा भी पहुँचे फिर देने को वर
आँखें खुली तो माँगा ये वर
ना पशु, आदमी छू सके सर
शस्त्र कोई मुझे छू ना सके
अस्त्र भी हो मेरे आगे विफल
दिन में मरूँ, ना रात में
ना स्थल पे, ना आकाश में
देव, असुर ना करें प्रहार
ना भीतर मरूँ, ना मरूँ बाहर
रात लिखी ना मौत हो
ना दिन में भी कोई ले मेरे प्राण
मार सके ना कोई गंधर्व
अमर रहे बस मेरी ये शान
पा के ये वर था चढ़ा अहम
हर प्राणी था जाता उससे सहम
मार सके ना कोई उसे
बस यही था पाला झूठा वहम
पापों को धरती ना करती सहन
पापी पे हरि ना करते रहम
आते हैं स्वयं प्रभु धरा में
करने को भंग पापी वहम
प्रभु के नाम का पारस जो छू ले
वो हो जाए सोना (वो हो जाए सोना)
दो अक्षर का शब्द "हरि" है
लेकिन बड़ा सलोना (लेकिन बड़ा सलोना)
तूने लाखों की नैया तारी-तारी, हरि-हरि
(जय-जय, नारायण-नारायण, हरि-हरि)
(स्वामी, नारायण-नारायण, हरि-हरि)
तेरी लीला सब से न्यारी-न्यारी, हरि-हरि
(तेरी लीला सब से न्यारी-न्यारी, हरि-हरि)
तेरी महिमा, प्रभु, है प्यारी-प्यारी, हरि-हरि
राजा ना था वो शख़्स हरि का
उसे ना भाता था अक्स हरि का
जहाँ था हरि का नाम निषेध
वहीं पे जन्मा था भक्त हरि का
नाम उसका था प्रह्लाद
हरि की स्तुती का उसमें था भाग
जहाँ पे रहते सभी असुर
हरि का नाम वहाँ गया था जाग
पता लगा जो, खौला था रक्त
बेटा था उसका हरि का भक्त
किया था बेटे को वैसे सचेत
रोक नाम ये, इसी तू वक़्त
बेटा तो गाता पर हरि का छंद
देख उसे हुआ पिता प्रचंड
कुछ भी ना सूझी तो कर बैठा तय
कि बेटे को देगा मृत्यु का दंड
कारागार में फेंका उसे
जहाँ चारों तरफ़ वे सर्प बिछे
लीला हरि की बड़ी अजब
ना सर्प उसे थे छू भी सके
दिया था विष और खाई से फैंका था
राजा के कर्मों को हरि ने देखा था
कैसे भला उसे मौत छुए
हरि की छाया में राजा का बेटा था
उसको मिला था वर भी अजीब
लपटें ना छुएगी उसका शरीर
नाम होलिका था (ha-ha)
प्रह्लाद को गोद पे ले बैठी फिर
ज्वाला में बैठी, ना डरी ज़रा
हरि नाम का जादू चला
प्रह्लाद को ना हानी हुई
ख़ुद को वो बैठी पर पूरी जला
मन में सोचा तो ये जाना
बिन तेरे यहाँ पर कोई ना सगा, कोई ना सगा
(बिन तेरे यहाँ पर कोई ना सगा, कोई ना सगा)
हम तुझपे जाएँ वारी-वा-
क्रोध की ज्वाला थी भारी जली
ज्वाला में छाती थी सारी जाली
पूछा था बेटे से होके ख़फ़ा
"कहाँ पे रहता है तेरा हरि?"
बोला प्रह्लाद रख के सबर
सारे ही स्थानों को उनकी ख़बर
"हरि दिखाएँगे चारों तरफ़
प्यार से देखे जो भक्ति नज़र"
यदी इस खंभे में भी तेरा भगवान है
तो आज, ना ये खंभा रहेगा, ना तेरा भगवान
खंभा जो टूटा तो फेला था डर
सुनी दहाड़ जो, काँपा था स्थल
भारी से हाथों में पंजे थे पैने
धड़ था नर का, शेर का सर
मौन हुए सब, मरे थे शब्द
सभा में सब गए पीछे थे हट गए
नरसिंह बन के पहुँचे हरि
हिरण्यकश्यप का करने को वध
हरि की गोद, उसका वज़न
पापी जो कहता था, "मैं हूँ अमर"
बोले वो, "कर तू याद ज़रा
ब्रह्म से माँगा था तूने क्या वर?"
पेट पे पंजे रखते ही, मानो, प्राण थे उसके आते बाहर
गाड़े जो पंजे तो पीड़ा से उसकी दोनों ही थी आँखें बाहर
पंजों से चीरा था माँस हरि ने, रक्त बहा था जैसे प्रपात
काँपे थे लोग ये देख घड़ी, चीखों के साथ ही आते बाहर
पंजों पे ख़ून, स्वर में गर्जन, आँखों में क्रोध और नुकीले दाँत
हरि जो रहते थे सदा ही शांत, उनमें भरी थी क्रोध की आग
गया प्रह्लाद पास प्रभु के, पास बिठाया उसे हरि ने
उनका आराधक ही कर सकता है हरि को शांत
(जय-जय, नारायण-नारायण, हरि-हरि)
(स्वामी, नारायण-नारायण, हरि-हरि)
तेरी लीला सब से न्यारी-न्यारी, हरि-हरि
(तेरी लीला सब से न्यारी-न्यारी, हरि-हरि)
तेरी महिमा, प्रभु, है प्यारी-प्यारी, हरि-हरि
जय नारायण
जीभ हरि नाम नहीं छोड़ सकती
Writer(s): Shanti Swaroop
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