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रात शबनमी, भीगी चाँदनी
तीसरा कोई दूर तक नहीं
इसके आगे हम और क्या कहें?
जानम, समझा करो
रात शबनमी, भीगी चाँदनी
तीसरा कोई दूर तक नहीं
इसके आगे हम और क्या कहें?
जानम, समझा करो
हो, इसके आगे हम और क्या कहें?
जानम, समझा करो
सनम, तुमको जिस दिन से देखा हमने
दीवाना दिल क़ाबू में नहीं
बड़ा प्यारा ये भी इत्तिफ़ाक़ देखो
तुम ही मिल जाते हो हर कहीं
तुम ही मिल जाते हो हर कहीं, प्यारे
आगे ख़ुद ही जान लो, और क्या कहें?
जानम, समझा करो
रात शबनमी, भीगी चाँदनी
तीसरा कोई दूर तक नहीं
इसके आगे हम और क्या कहें?
जानम, समझा करो
हो, इसके आगे हम और क्या कहें?
जानम, समझा करो
अगर तुम भी वो चाहो जो मैं चाहूँ
तो गुल खिल जाए इक़रार का
दिलों को मिलने दे, कुछ ना बोलें हम
मज़ा आए फिर तो प्यार का
मज़ा आए फिर तो प्यार का, जानम
आगे ख़ुद ही जान लो, और क्या कहें?
जानम, समझा करो
रात शबनमी, भीगी चाँदनी
तीसरा कोई दूर तक नहीं
इसके आगे हम और क्या कहें?
जानम, समझा करो
हो, इसके आगे हम और क्या कहें?
जानम, समझा करो
ठहर पड़ी है रात ये सारी
काहे की जल्दी, जान-ए-मन?
डाले हुए ये रेशमी बाँहें
यूँ ही लिपटे रहो तुम, गुल-बदन
तक़दीर से ये मिल गया मौक़ा
आगे ख़ुद ही जान लो, और क्या कहें?
जानम, समझा करो
रात शबनमी, भीगी चाँदनी
तीसरा कोई दूर तक नहीं
इसके आगे हम और क्या कहें?
जानम, समझा करो
रात शबनमी, भीगी चाँदनी
तीसरा कोई दूर तक नहीं
इसके आगे हम और क्या कहें?
जानम, समझा करो
हो, इसके आगे हम और क्या कहें?
जानम, समझा करो
हो, इसके आगे हम और क्या कहें?
जानम, समझा करो
Writer(s): Majrooh Sultanpuri, Leslie Lezz Lewis
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