Lyrics

तेरी बाँहों में जो सुकूँ था मिला मैंने ढूँढा बहुत, पर फिर ना मिला दुनिया छूना चाहे मुझको यूँ जैसे उनकी सारी की सारी मैं दुनिया देखे रूप मेरा कोई ना जाने बेचारी मैं हाय, टूटी सारी की सारी मैं तेरे इश्क़ में हुई आवारी मैं हाय, टूटी सारी की सारी मैं तेरे इश्क़ में हुई आवारी मैं कोई शाम बुलाए, कोई दाम लगाए मैं भी ऊपर से हँसती, पर अंदर से, हाय क्यूँ दर्द छुपाए बैठी है? क्यूँ तू मुझसे कहती है? मैं तो खुद ही बिखरा हुआ हाय, अंदर-अंदर से टूटा मैं तेरे इश्क़ में खुद ही से रूठा मैं हाय, अंदर-अंदर से टूटा मैं तेरे इश्क़ में खुद ही से रूठा मैं मैं जी भर के रो लूँ तेरी बाँहों में सो लूँ "आ, फिर से मुझे मिल" मैं तुझसे ये बोलूँ तू अनमोल थी, पल-पल बोलती थी ऐसी चुप तू लगा के गई सारी खुशियाँ खा के गई हाय, अंदर-अंदर से टूटा मैं तेरे इश्क़ में खुद ही से रूठा मैं हाय, तेरी हूँ सारी की सारी मैं पर तेरे लिए बाज़ारी मैं
Writer(s): Rabbi Ahmed, Adnan Dhool Soch Lyrics powered by www.musixmatch.com
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