Credits
PERFORMING ARTISTS
Shabbir Kumar
Performer
COMPOSITION & LYRICS
Laxmikant-Pyarelal
Composer
Anand Bakshi
Songwriter
Lyrics
नज़र रोज़ा-ए-मुस्तफ़ा ढूँढती है
दयारे रसूले खुदा ढूँढती है
मुबारक हो तुम सबको हज का महीना
मुबारक हो तुम सबको हज का महीना
न थी मेरी किस्मत के देखूँ मदीना
मदीने वाले से...
मदीने वाले से मेरा सलाम कहना
मदीने वाले से मेरा सलाम कहना
फटा मेरे ग़म से समंदर का भी सीना
फटा मेरे ग़म से समंदर का भी सीना
न थी मेरी किस्मत के देखूँ मदीना
मदीने वाले से मेरा सलाम कहना
मदीने वाले से मेरा सलाम कहना
वहाँ कोई छोटा ना कोई बड़ा है
वहाँ हर बशर एक सफ़ में खड़ा है
वहाँ कोई छोटा ना कोई बड़ा है
वहाँ हर बशर एक सफ़ में खड़ा है
मोहम्मद की चौखट पे जो गिर पड़ा है
मोहम्मद की चौखट पे जो गिर पड़ा है
उसी का है मरना, उसी का है जीना
उसी का है मरना, उसी का है जीना
न थी मेरी किस्मत के देखूँ मदीना
मदीने वाले से मेरा सलाम कहना
मदीने वाले से मेरा सलाम कहना
बहुत दूर हूँ मैं
बहुत दूर हूँ मैं तेरे आस्ताँ से
मेरी हाज़री ले ले आक़ा यहाँ से
मुझे बख्श दे ज़ब्तके इम्तिहाँ से
के मजबूर हूँ मैं ग़मे दो जहाँ से
चुने गुल सभी ने तेरे गुलसिताँ से
मुझे सिर्फ़ काँटे मिले क्यों फ़िज़ा से
तुझे सब पता है कहूँ क्या ज़ुबाँ से
फ़क़त एक इशारा तू कर दे वहाँ से
सितारे हैं किस्मत के ना मेहरबाँ से
जुदा कर ना देख एक बेटे को माँ से
अगर हुक्म है मौत का आसमाँ से
बदल दे मेरी जाँ, मेरी माँ की जाँ से
ओ शाहे ओ आलम, ओ शाहे मदीना
मुबारक हो तुम सबको हज का महीना
मुबारक हो तुम सबको हज का महीना
न थी मेरी किस्मत के देखूँ मदीना
मदीने वाले से मेरा सलाम कहना
मदीने वाले से मेरा सलाम कहना
Written by: Anand Bakshi, Laxmikant-Pyarelal