Lyrics

इक मोड़ तू मिली, ज़िंदगी कुछ देर तो रुकी, फिर कहाँ खो गई? मेरा हाथ थाम ले, चल वहाँ जहाँ एक हो सकें ये आसमाँ और ज़मीं टूटा तारा हूँ मैं, गिर पड़ूँ बेवजह तेरे साए में माँगूँ मैं पनाह ऐसा भी क्या हुआ, ज़िंदगी? मेरी हमसफ़र बनी, फिर हुई अजनबी इक मोड़ तू मिली, ज़िंदगी, हाँ, ज़िंदगी पानियों पे जेसे कोई टूटा सा पत्ता बहे ये दिल ना जाने क्यूँ तुझ पे ही ठहरा रहे बादलों से जब धूप की रेशम किरणें बहें ये दिल ना जाने क्यूँ तुझ को ही ढूँढा करे ये बता, ज़िंदगी टूटा तारा हूँ मैं, गिर पड़ूँ बेवजह तेरे साए में माँगूँ मैं पनाह जब से हुए जुदा, क्या कहूँ बेचैन सी फिरूँ दर-ब-दर, ज़िंदगी इक मोड़ तू मिली, ज़िंदगी कुछ देर तो रुकी, फिर कहाँ खो गई? इक मोड़ तू मिली, ज़िंदगी, हाँ, ज़िंदगी
Writer(s): Kohli Rochak, Verma Aadheesh Lyrics powered by www.musixmatch.com
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