Lyrics

चला क्यूँ घर से यूँ? इस रात में ना देखूँ और ना सोचूँ, तलाश है एक कश की जो मुझे मुझसे मिलायेगा अब जाने का मन है पर ये धुँआ मुझे यूँ रोकता, बोलता अरे रुक जा रे ओ... अभी आधी बाकी है अरे रुक जा रे ओ साथी! अभी आधी बाकी है भला क्यूँ रात यूँ उदास है! इसे भी थोड़ी-थोड़ी सी आस है उस कल की जो अब कभी मुड़के ना आयेगा समझाने का मन है पर ये धुँआ मुझे यूँ कोसता, बोलता भले रात गुल है पर आधी तो बाकी है अरे रुक जा रे ओ साथी! अभी आधी बाकी है ये फ़िकर की दवा है पास जो तो काफी है अरे रुक जा रे ओ साथी! अभी आधी...
Writer(s): Vinod Patney Lyrics powered by www.musixmatch.com
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