Lyrics
तू बन जा गली बनारस की
मैं शाम तलक भटकूँ तुझमें
Hmm-mmm
तू बन जा गली बनारस की
मैं शाम तलक भटकूँ तुझमें
तेरी बातें चटपट चाट सी हैं
तेरी आँखें गंगा घाट सी हैं
मैं घाट किनारे सो जाऊँ
फिर सुबह-सुबह जागूँ तुझमें
तू बन जा गली बनारस की
मैं शाम तलक भटकूँ तुझमें
मेरे चाँद, गुज़र मेरी खिड़की से
तुझे माथे पे अपने सजा लूँ मैं
तुझे बाँध लूँ अपनी ज़ुल्फ़ों में
तुझे अपना ribbon बना लूँ मैं
मेरे चाँद, गुज़र मेरी खिड़की से
तुझे माथे पे अपने सजा लूँ मैं
तुझे बाँध लूँ अपनी ज़ुल्फ़ों में
तुझे अपना ribbon बना लूँ मैं
तुझे ऐसे रखूँ कभी खोए नहीं
किसी और का तू कभी होए नहीं
तुझे पाऊँ तो खो जाऊँ मैं
फिर खुद को कहीं ढूँढूँ तुझमें
तू बन जा गली बनारस की
मैं शाम तलक भटकूँ तुझमें
मुझे घर से भगा ले जा एक दिन
तेरे साथ फिरूँ मैं सैलानी
तू हवा है, मैं घंघोर घटा
मुझे छेड़ के कर पानी-पानी
मुझे घर से भगा ले जा एक दिन
तेरे साथ फिरूँ मैं सैलानी
तू हवा है, मैं घंघोर घटा
मुझे छेड़ के कर पानी-पानी
मेरी खुशियों में, मेरे ग़म में तू
मेरे इश्क़ के हर मौसम में तू
तू बैठा रहे मेरे साए में
और धूप सी मैं निकलूँ तुझमें
तू बन जा गली बनारस की
मैं शाम तलक भटकूँ तुझमें
तू बन जा गली बनारस की
मैं शाम तलक भटकूँ तुझमें
Writer(s): Rashid Khan, Shakeel Azmi
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