Credits
PERFORMING ARTISTS
Aric
Performer
Kalakaar AR
Performer
Talha Ali
Performer
COMPOSITION & LYRICS
Aric
Songwriter
Kalakaar AR
Songwriter
PRODUCTION & ENGINEERING
Talha Ali
Producer
Lyrics
आरिक
झूट
आधी बातें यहां, आधी रात मुझे
आती याद हर एक भूल
खाली दिल, मैंने बारीकी से देखा
काली रातो मे है धूप
ना अब तारीफो से होता खुश
दिल को अब तालिओ की नि ह भूख
मैं तो कबसे बस ये केह्रा हु
कुछ महसूस नहीं होरहा यहां
डूबती जाए मेरी खुदकी नाव और
Ar
दिल नि लगता इन्न महफिलो मे
बेमन ही वहां बैठे रहोगे
अब तू साला चेंज होगया है
फेक होगया तुम कहते रहोगे
Har pal
पर कहने से होता है क्या
तुम्हें पता नहीं खोना क्या ख्वाब
लगे रातों में सोने भी श्राप
इरादे हैं नेक पर कांच
(एरिक)
कि तरह वो पड़े हैं कबसे ही बिखरे
मैं खो ना जाऊँ कहीं भीड़ में
(ar)
मैं कोना चाहू बस होना चाहू अलग
पहचान मेरी सीन में
(एरिक)
रहा परेशान मैं अतीत से
वो चले गए बड़े अज़ीज़ थे
(ar)
छोड़ी सांस लेनी अब भीख में
(एरिक)
बस लौटूंगा ऊपर मैं जीत के
(ar)
नज़दीक मत आ मैं लायक नि तेरे
तुम अकेले नहीं मुझे शायर जो कहते
हम अकेले होके भी कायदे रखे
हम रिश्तो मे कभी ना फ़ायदे देखे
(एरिक)
अब सर्कल में मेरे वो भाई नी बचे
अब शकल से लगता हसा ही नि कबसे
यहा खबर के नाम पे अफ़वाह ही बिकी
और कदर के नाम पे
इन्हें दिखते हैं बिखरे ये बाल
कैसे गुज़रे वो साल नहीं पता
नहीं रुक रहे ये कदम कई सालों से
पहुंचे नहीं है सही जगह
सही दिशा
गानों में कह दिया कई दफा
ज़िंदगी में जब भी कुछ शि लगा
किया वही
हाँ बैठा मैं दोस्तो में पिया नहीं
जब देखता हूं मां को मैं किया शि
कहता हूं खुदको मैं रहता हूं खुदमे
ना खुलता हु ज्यादा ना भूलता हु पास्ट
और सचमे मुझको सब अब वक्त से पहले चाहिए
लफ्ज़ ये कागज़ पे तो नाज़ुक ख्वाब लगे
टूटे वो सारे ही कितनी आसानी से
(ar)
जितनी आसानी से गाने बनाता हूँ
टूटा हु क्या तेरा वादा हु
(एरिक)
भूखा हूं लिख के मिटाता हूं
झूठा हूं तेरे बिन आधा हूं कहता हूं जब
(ar)
ज़मीन से जुदा हुआ
नसीब से खफ़ा रहा
चबाने लोहे के चने जो खामा खा
दूजो पड़ता जहा से मुड़ा हुआ पन्ना किताब का
दुनिया सिर्फ पूछे हिसाब का
कामयाबी की कमी मैं पीछे ही भागता
सभी को लगे आसान सा
मेरे लिए वो हादसा किए हाथ साफ़
जीव खाने के लिए
बेवरेज ब्लड बारी बारी से पिए
अपनों ने मुझे सिर्फ हादसे दिए
पर कभी ना मेने शिकायते की है
(एरिक)
मेरी सुबह को खौफ़ है शाम से
पहले गलतिया करते ये जानके
वो इल्ज़ाम भी मुझपे ये डालदे
जैसे लाठी हो साँप के हाथमे
इनके जिक्र से आती थी शांति
अब आती है गाली ज़बान पे
अब आता है पानी बस आँख से
और ज़्यादा नहीं करता विश्वास मैं किसी पे
Written by: Aric, Kalakaar AR

