album cover
Prem
1,372
Pop
Prem was released on January 3, 2025 by 60's Cloud Records as a part of the album Prem - Single
album cover
Release DateJanuary 3, 2025
Label60's Cloud Records
Melodicness
Acousticness
Valence
Danceability
Energy
BPM171

Music Video

Music Video

Credits

PERFORMING ARTISTS
Blo V
Blo V
Music Director
Shobhna
Shobhna
Performer
COMPOSITION & LYRICS
Blo V
Blo V
Composer
K.K. Singh
K.K. Singh
Lyrics

Lyrics

दुनिया ये कहती है एक हीर थी और एक रांझा था
लैला मजनू के भी प्यार को सब ने जाना था
तुम इनको कहते हो प्रेम की अमर कहानी तो
मैं तुमको बताता हूं कि प्रेम की है परिभाषा क्या
प्रेम ऐसा हो जैसे राधा जी का कान्हा था
कृष्ण ने राधा जी को अपना सब कुछ माना था
कृष्ण जब चले गए थे दूर कहीं वृंदावन से
कृष्ण आएंगे वापस राधा जी ने ठाना था
फिर देर हुई, वो ना आए
राधा जी का मन घबराए
मन ही मन में ये आश उठे
मोहन के दर्शन हो जाए
फिर देर हुई, वो ना आए
राधा जी का मन घबराए
मन ही मन में ये आश उठे
मोहन के दर्शन हो जाए
सपने में मोहन रोज़ आए
इसी आश में राधा सो जाए
नयनों में मूरत उनकी जो
नयनों में आके खो जाए
सपने में मोहन रोज़ आए
बंद आँख को हल्की भिगो जाए
नयनों में सूरत उनकी
जो नयनों को सूरत दे जाए
प्रेम में राधा जी ने सब कुछ अपना त्यागा था
दूरी बढ़ने पर उनका प्रेम ही सबसे ज्यादा था
मोहन की मुरली सुनने तरस गए थे श्रोत भी उनके
पर उनकी जिह्वा पर नाम ही केवल कान्हा था
प्रेम ऐसा हो जैसे राधा जी का कान्हा था
कृष्ण ने राधा जी को अपना सब कुछ माना था
कृष्ण जब चले गए थे दूर कहीं वृंदावन से
कृष्ण आएंगे वापस राधा जी ने ठाना था
अंग-अंग, सांसों की धड़कन
प्राण भी वश में हैं तेरे
मोहन मेरा आधा हिस्सा
ले ना सकी चाहे फेरे
अंग-अंग, सांसों की धड़कन
मेरे प्राण भी वश में हैं तेरे
मोहन मेरा आधा हिस्सा
ले ना सकी चाहे फेरे
सांझ-सवेरे ताक में गुजरे
मोरे नैना दर्श को तरसे
जीत-हार सब एक तरफ
बस मोहन कर दो मोरे हिस्से
सांझ-सवेरे ताक में गुजरे
मोरे नैना दर्श को तरसे
जीत-हार सब एक तरफ
बस मोहन कर दो मोरे हिस्से
आगे आने वाली सदियाँ
जोड़ेगी कान्हा हमसे अपना नाता
जिसका भी प्रेम अधूरा रहेगा
खुद को कहेगी वो राधा
परन्तु
प्रेम ऐसा हो जैसे राधा जी का कान्हा था
कृष्ण ने राधा जी को अपना सब कुछ माना था
कृष्ण जब चले गए थे दूर कहीं वृंदावन से
कृष्ण आएंगे वापस राधा जी ने ठाना था
प्रेम ऐसा हो जैसे राधा जी का कान्हा था
कृष्ण ने राधा जी को अपना सब कुछ माना था
कृष्ण जब चले गए थे दूर कहीं वृंदावन से
कृष्ण आएंगे वापस राधा जी ने ठाना था
Written by: Blo V, K.K. Singh
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