Şarkı sözleri

ख़ुदा भी जब तुम्हें मेरे पास देखता होगा ख़ुदा भी जब तुम्हें मेरे पास देखता होगा "इतनी अनमोल चीज़ दे दी कैसे?" सोचता होगा तू बेमिशाल है, तेरी क्या मिसाल दूँ? "आसमाँ से आई है," यही कह के टाल दूँ फिर भी कोई जो पूछे, "क्या है तू? कैसी है?" हाथों में रंग लेके हवा में उछाल दूँ (हवा में उछाल दूँ, ...उछाल दूँ) ख़ुदा भी जब तुम्हें मेरे पास देखता होगा "इतनी अनमोल चीज़ दे दी कैसे?" सोचता होगा जो भी ज़मीं तेरे पाँव तले आए क़दमों से छू के वो आसमाँ हो जाए तेरे आगे फीके-फीके सारे सिंगार हैं मैं तो क्या, फ़रिश्ते भी तुझ पे निसार हैं गर्मी की शाम है तू, जाड़ों की धूप है जितने भी मौसम हैं, तेरे कर्ज़दार हैं (तेरे कर्ज़दार हैं, ...दार हैं) ख़ुदा भी जब तेरे अंदाज़ देखता होगा "इतनी अनमोल चीज़ दे दी कैसे?" सोचता होगा चेहरा है या जादू? रूप है या ख़्वाब है? आँखें हैं या अफ़साना? जिस्म या किताब है? आजा, तुझे मैं पढ़ लूँ, दिल में उतार लूँ होंठों से देखूँ तुझे, आँखों से पुकार लूँ ख़्वाहिशें ये कहती हैं, कहती रहती हैं "लेके तुझे बाँहों में शामें गुज़ार लूँ" (शामें गुज़ार लूँ, ...गुज़ार लूँ) ख़ुदा भी अब तुझे दिन-रात ढूँढता होगा "इतनी अनमोल चीज़ दे दी कैसे?" सोचता होगा
Writer(s): Manoj Muntashir, Tony Kakkar Lyrics powered by www.musixmatch.com
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