Krediler
PERFORMING ARTISTS
Mohd. Rafi
Performer
COMPOSITION & LYRICS
Chitragupta
Composer
Rajendra Krishan
Songwriter
Şarkı sözleri
एक अनजान हसीना का पयाम आया है
मुझे Europe की हवाओं का सलाम आया है
जी लगता नहीं अपना इन देसी नज़ारों में
ले जाओ मुझे, यारों, Europe की बहारों में
जी लगता नहीं अपना इन देसी नज़ारों में
ले जाओ मुझे, यारों, Europe की बहारों में
जी लगता नहीं अपना...
जहाँ हुस्न है अलबेला, बे-क़ैद जवानी है
हर ज़ुल्फ़ सुनहरी है, हर शक्ल सुहानी है
जहाँ हुस्न है अलबेला, बे-क़ैद जवानी है
हर ज़ुल्फ़ सुनहरी है, हर शक्ल सुहानी है
इस देस की तो, यारों, हर चीज़ पुरानी है
जी लगता नहीं अपना इन देसी नज़ारों में
ले जाओ मुझे, यारों, Europe की बहारों में
जी लगता नहीं अपना...
डाले हुए बाँहों में बाँहें वहाँ घूमूँगा
हर फूल से खेलूँगा, हर कली को चूमूँगा
डाले हुए बाँहों में बाँहें वहाँ घूमूँगा
हर फूल से खेलूँगा, हर कली को चूमूँगा
हर ताल पे नाचूँगा, हर नाच पे झूमूँगा
जी लगता नहीं अपना इन देसी नज़ारों में
ले जाओ मुझे, यारों, Europe की बहारों में
जी लगता नहीं अपना...
बदनाम नहीं होता वहाँ प्यार का अफ़साना
और बंद नहीं होता पल-भर कोई मयख़ाना
बदनाम नहीं होता वहाँ प्यार का अफ़साना
और बंद नहीं होता पल-भर कोई मयख़ाना
गर्दिश में जो आ जाए, रुकता नहीं पैमाना
जी लगता नहीं अपना इन देसी नज़ारों में
ले जाओ मुझे, यारों, Europe की बहारों में
जी लगता नहीं अपना...
Written by: Chitragupta, Rajendra Krishan

