Şarkı sözleri
ज़िंदगी, ऐ ज़िंदगी
ज़िंदगी, तेरे हैं दो रूप
ज़िंदगी, ऐ ज़िंदगी
ज़िंदगी, तेरे हैं दो रूप
बीती हुई रातों की
बातों की तू छाया
छाया वो जो बनेगी धूप
कभी तेरी किरणें थीं ठंडी-ठंडी, हाय रे
अब तू ही मेरे जी में आग लगाए रे
कभी तेरी किरणें थीं ठंडी-ठंडी, हाय रे
अब तू ही मेरे जी में आग लगाए रे
चाँदनी, ऐ चाँदनी
चाँदनी, तेरे हैं दो रूप
टूटे हुए सपनों की
अपनों की छाया
छाया वो जो बनेगी धूप
आते-जाते पल क्या हैं, समय के ये झूले हैं
बिछड़े साथी कभी आए, कभी भूले हैं
आते-जाते पल क्या हैं, समय के ये झूले हैं
बिछड़े साथी कभी आए, कभी भूले हैं
आदमी, ऐ आदमी
आदमी, तेरे हैं दो रूप
दुख-सुख के झूलों की
फूलों की तू छाया
छाया वो जो बनेगी धूप
छाया वो जो बनेगी धूप
कोई भूली हुई बात मुझे याद आई है
ख़ुशी भी तू लाई थी, ये आँसू भी तू लाई है
दिल्लगी, ऐ दिल्लगी
दिल्लगी, तेरे हैं दो रूप
कैसे-कैसे वादों की
यादों की तू छाया
छाया वो जो बनेगी धूप
Writer(s): S.d. Burman, Anand Bakshi
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