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पी, पीनेवाले सुनो, पीनेवालो सुनो पी, पीनेवालो सुनो, पीनेवालो सुनो, पीनेवालो सुनो (सुनो, सुनो, सुनो-सुनो, सुनो, सुनो) (सुनो, सुनो, सुनो-सुनो, सुनो, सुनो) पीनेवालो सुनो, "ना छुपाकर पियो कभी इश्क़ और शराब को मिलाकर पियो" पीनेवालो सुनो, "ना छुपाकर पियो कभी इश्क़ और शराब को मिलाकर पियो" तुम कहोगे, "ये कैसे मुमकिन है, यार?" तुम कहोगे, "ये कैसे मुमकिन है, यार?" तुम कहोगे, "ये कैसे मुमकिन है, यार?" सामने तुम सनम को बिठा कर पियो और नज़र से नज़र फिर मिलाकर पियो पीनेवालो सुनो, "ना छुपाकर पियो कभी इश्क़ और शराब को मिलाकर पियो" तुम कहोगे, "ये कैसे मुमकिन है, यार?" तुम कहोगे, "ये कैसे मुमकिन है, यार?" तुम कहोगे, "ये कैसे मुमकिन है, यार?" सामने तुम सनम को बिठा कर पियो और नज़र से नज़र फिर मिलाकर पियो पीनेवालो सुनो, "ना छुपाकर पियो कभी इश्क़ और शराब को मिलाकर पियो" जब छलकते हैं जाम लेके दिलबर का नाम तो रंगीन होती है और शाम जब जवानी पे हो मयकशी का ये दौर तो मज़ा आशिक़ी का आता है और और इस दौर में सब भुलाकर पियो कभी इश्क़ और शराब को मिलाकर पियो और इस दौर में सब भुलाकर पियो कभी इश्क़ और शराब को मिलाकर पियो तुम कहोगे, "ये कैसे मुमकिन है, यार?" तुम कहोगे, "ये कैसे मुमकिन है, यार?" सामने तुम सनम को बिठा कर पियो और नज़र से नज़र फिर मिलाकर पियो पीनेवालो सुनो, "ना छुपाकर पियो कभी इश्क़ और शराब को मिलाकर पियो" जब पियोगे कभी जैसे कहते हैं हम, तो मिट जाएँगे सारे दर्द और ग़म जब बहक जाएँगे हद से ज़्यादा क़दम, तो सँभालेगा तुमको तुम्हारा सनम डर है किस बात का? सर उठाकर पियो कभी इश्क़ और शराब को मिलाकर पियो डर है किस बात का? सिर उठाकर पियो कभी इश्क़ और शराब को मिलाकर पियो तुम कहोगे, "ये कैसे मुमकिन है, यार?" तुम कहोगे, "ये कैसे मुमकिन है, यार?" सामने तुम सनम को बिठा कर पियो और नज़र से नज़र फिर मिलाकर पियो पीनेवालो सुनो, "ना छुपाकर पियो कभी इश्क़ और शराब को मिलाकर पियो" पी, पीनेवाले सुनो, पीनेवालो सुनो पी, पीनेवालो सुनो, पीनेवालो सुनो, पीनेवालो सुनो (सुनो, सुनो, सुनो, सुनो, सुनो, सुनो) पी, पी, पी, पी (सुनो, सुनो, सुनो, सुनो, सुनो, सुनो) पी, पी, पी
Writer(s): Nikhil-vinay, Praveen Bhardwaj Lyrics powered by www.musixmatch.com
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