制作
出演艺人
Abhijeet Bhattacharya
表演者
Shah Rukh Khan
表演者
作曲和作词
Anu Malik
作曲
Javed Akhtar
词曲作者
歌词
The amalgamation before the fluctuation
And ramification of the constitutional ambiguity
And the judicial paradoxical position can be a verbal turmoil
He's right
"मैं तो हूँ पागल," ये कहूँ हर पल
"मैं तो हूँ पागल," ये कहूँ हर पल
कर कोई हलचल, होने दे, होने दे
(होने दे, होने दे, होने दे) कोई दीवानगी
"मैं तो हूँ पागल," ये कहूँ हर पल
कर कोई हलचल, होने दे, होने दे
(होने दे, होने दे, होने दे) कोई दीवानगी
अमाम मियाँ, साला रे Jamad Misra, Abdullah की नग़मा संजी में मसरूफ़ और मशग़ूल है
तावक्ते के दीगर अस्हाबे Jamad Misra इस्तानी के बकिया अरक़ान की अदाएगी फ़र्मा रहे हैं, आएँ!
ये क्या ग़ालिब की ग़ज़ल है?
रेत में तैरना सीख ले
और समंदर के ऊपर टहल
बीन भैसों के आगे बजा
और हवा में बना ले महल
रेत में तैरना सीख ले
और समंदर के ऊपर टहल
बीन भैसों के आगे बजा
और हवा में बना ले महल
Suit लोहे का सिलवा ले तू
और पैरों पे चश्मा लगा
हाथ में बाँध ले वो घड़ी
जिसमें हो साढ़े तेरह बजा, आएँ!
"मैं तो हूँ पागल," ये कहूँ हर पल
कर कोई हलचल, होने दे, होने दे
(होने दे, होने दे, होने दे) कोई दीवानगी
एक पके माली के पात्र में दुग्ध, शर्करा युक्त गरा कंद्रा उपजित उष्ण पर प्रधान हो
तो काकचेष्टा बको ना ध्यान, नम्र समान निद्रा अवश्य प्राप्त हो सकते हैं, नमस्कार
मैंने दूरदर्शन में सुना है
पेड़ से तोड़ ले मछलियाँ
बिल्लियों को तू गाना सिखा
चाँद को कर दे चौकोर तू
और सूरज त्रिकोना बना
पेड़ से तोड़ ले मछलियाँ
बिल्लियों को तू गाना सिखा
चाँद को कर दे चौकोर तू
और सूरज त्रिकोना बना
ओ, बिना पहिए की गाड़ी में चल
भूल जा अपने घर का पता
लेके हाथी को मुट्ठी में तू
Cabaret देख ले ऊँट का, आएँ!
"मैं तो हूँ पागल," ये कहूँ हर पल
कर कोई हलचल, होने दे, होने दे
(होने दे, होने दे, होने दे) कोई दीवानगी
Written by: Anu Malik, Javed Akhtar