制作

出演艺人
Jagjit Singh
Jagjit Singh
表演者
Gulzar
Gulzar
表演者
作曲和作词
Jagjit Singh
Jagjit Singh
作曲
Gulzar
Gulzar
作词

歌词

[Intro]
आदमी बुलबुला है पानी का
और पानी की बहती सतह पर
टूटता भी है, डूबता भी है
फिर उभरता है, फिर से बहता है
ना समंदर निगल सका इसको
ना तवारीख़ तोड़ पाई है
वक्त की मौज पर सदा बहता
आदमी बुलबुला है पानी का
[Verse 1]
ज़िंदगी क्या है जानने के लिए
ज़िंदा रहना बहुत ज़रूरी है
आज तक कोई भी रहा तो नहीं
[Verse 2]
सारी वादी उदास बैठी है
मौसम-ए-गुल ने ख़ुदकशी कर ली
किसने बारूद बोया बाग़ों में?
[Verse 3]
आओ, हम सब पहन लें आईने
सारे देखेंगे अपना ही चेहरा
सब को सारे हसीन लगेंगे यहाँ
[Verse 4]
है नहीं जो दिखाई देता है
आईने पर छपा हुआ चेहरा
तर्जुमा आईने का ठीक नहीं
[Verse 5]
हम को ग़ालिब ने ये दुआ दी थी
तुम सलामत रहो हज़ार बरस
ये बरस तो फ़क़त दिनों में गया
[Verse 6]
लब तेरे मीर ने भी देखे हैं
पंखुड़ी एक गुलाब की सी है
बातें सुनते तो ग़ालिब हो जाते
[Verse 7]
ऐसे बिखरे हैं रात-दिन, जैसे
मोतियों वाला हार टूट गया
तुमने मुझ को पिरो के रखा था
तुमने मुझ को पिरो के रखा था
Written by: Gulzar, Jagjit Singh
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