歌词

तुझसे ऐसा उलझा दिल धागा, धागा खिंचा (धागा, धागा) तुझसे ऐसा उलझा दिल धागा धागा खिंचा दरगाह पे जैसे हो चाद्रों सा बिछा यूँ ही रोज़ ये उधड़ा बुना क़िस्सा इश्क़ का कई बार हमने फिर से लिखा साहिबा, साहिबा चल वहाँ जहाँ मिर्ज़ा साहिबा, साहिबा चल वहाँ जहाँ मिर्ज़ा खाली चिट्ठियाँ थी तुझे रो-रो के लगा भेजी मोहर इश्क़ां की इश्क़ां की हाय काग़ज़ की कश्ती मेरे दिल की थी डुबा बैठी नहर अश्क़ां की हाय बेसुरे दिल की ये धुन करता दलीले तू सुन आईना तू तू ही पहचाने ना, जो हूँ वो माने ना ना अजनबी, तू बन अभी हूंक है दिल में उठी आलापों सी है बजी साँसों में तू मद्धम से रागों सा, केसर के धागों सा यूँ घुल गया मैं गुम गया ओ हो, दिल पे धुँधला सा सलेटी रंग कैसा चढ़ा आ आ, आआआ आ तुझसे ऐसा उलझा दिल धागा धागा खिंचा दरगाह पे जैसे हो चाद्रों सा बिछा यूँ ही रोज़ ये उधड़ा बुना क़िस्सा इश्क़ का कई बार हमने फिर से लिखा साहिबा, साहिबा चल वहाँ जहाँ मिर्ज़ा साहिबा, साहिबा चल वहाँ जहाँ मिर्ज़ा ओ साहिबा ओ साहिबा हिजर की चोट है लागी रे ओ साहिबा जिगर हुआ है बाघी रे ज़िद्द बेहद हुई रटती है ज़ुबान ओ तेरे बिना ओ तेरे बिन, साँस भी काँच सी, काँच सी काटे, काटे रे ओ तेरे बिना, जिंदडी राख सी, राख सी लागे रे ओ तेरे बिना, साँस भी काँच सी, काँच सी काटे, काटे रे ओ तेरे बिना, जिंदडी राख सी, राख सी लागे रे ओ तेरे बिना, साँस भी काँच सी, काँच सी काटे, काटे रे ओ तेरे बिना, जिंदडी राख सी, राख सी लागे रे
Writer(s): Shashwat Sachdev, Anvita Dutt Guptan Lyrics powered by www.musixmatch.com
instagramSharePathic_arrow_out