歌词
ऐ, शहर-ए-लखनऊ, तुझे मेरा सलाम है
ऐ, शहर-ए-लखनऊ, तुझे मेरा सलाम है
तेरा ही नाम दूसरा जन्नत का नाम है
ऐ, शहर-ए-लखनऊ...
मेरे लिए बहार भी तू, गुल-बदन भी तू
परवाना और शम्मा भी तू, अंजुमन भी तू
ज़ुल्फ़ों की तरह महकी हुई तेरी शाम है
ऐ, शहर-ए-लखनऊ...
कैसा निख़ार तुझमें है, क्या-क्या है बाँकपन
ग़ज़लें गली-गली हैं तो नग़्में चमन-चमन
शायर के दिल से पूछ, तेरा क्या मकाम है?
ऐ, शहर-ए-लखनऊ, तुझे मेरा सलाम है
तेरा ही नाम दूसरा जन्नत का नाम है
ऐ, शहर-ए-लखनऊ...
तू वो है, लोग "शहर-ए-निगाराँ" कहें जिसे
"फ़िरदौस-ए-हुस्न-ए-बहाराँ" कहें जिसे
तेरी हर एक अदा में वफ़ा का पयाम है
ऐ, शहर-ए-लखनऊ, तुझे मेरा सलाम है
तेरा ही नाम दूसरा जन्नत का नाम है
ऐ, शहर-ए-लखनऊ...
Written by: Naushad, Shakeel Badayuni