歌词
उल्फ़त में ज़माने की हर रस्म को ठुकराओ
उल्फ़त में ज़माने की हर रस्म को ठुकराओ
फिर साथ मेरे आओ, ओ
उल्फ़त में ज़माने की हर रस्म को ठुकराओ
क़दमों को ना रोकेगी ज़ंजीर रिवाजों की
हम तोड़ के निकलेंगे दीवार समाजों की
दूरी पे सही मंज़िल दूरी से ना घबराओ
उल्फ़त में ज़माने की हर रस्म को ठुकराओ
मैं अपनी बहारों को रंगीन बना लूँगा
१०० बार तुम्हें अपनी पलकों पे उठा लूँगा
शबनम की तरह मेरे गुलशन पे बिखर जाओ
उल्फ़त में ज़माने की हर रस्म को ठुकराओ
आ जाओ कि जीने के हालात बदल डालें
हम मिलके ज़माने के दिन-रात बदल डालें
तुम मेरी वफ़ाओं की एक बार क़सम खाओ
उल्फ़त में ज़माने की हर रस्म को ठुकराओ
फिर साथ मेरे आओ, ओ
उल्फ़त में ज़माने की हर रस्म को ठुकराओ
Written by: Naqsh Lyallpuri, Sapan Jagmohan


