歌词
आ, मोहब्बत की बस्ती बसाएँगे हम
इस ज़मीं से अलग आसमानों से दूर
मोहब्बत की बस्ती बसाएँगे हम
मैं हूँ धरती, तू आकाश है, ओ, सनम
मैं हूँ धरती, तू आकाश है, ओ, सनम
देख धरती से आकाश है कितनी दूर
तू कहाँ, मैं कहाँ, है यही मुझको ग़म
देख धरती से आकाश है कितनी दूर
दूर दुनिया से कोई नहीं है जहाँ
मिल रहे हैं वहाँ पर ज़मीं-आसमाँ
मिल रहे हैं वहाँ पर ज़मीं-आसमाँ
छुप के दुनिया से फिर क्यूँ ना मिल जाए हम
इस ज़मीं से अलग आसमानों से दूर
मोहब्बत की बस्ती बसाएँगे हम
तेरे दामन तलक हम तो क्या आएँगे
तेरे दामन तलक हम तो क्या आएँगे
यूँ ही हाथों को सहलाके रह जाएँगे
कोई अपना नहीं, बेसहारे हैं हम
देख धरती से आकाश है कितनी दूर
धरती से आकाश है कितनी दूर
Written by: Anil Biswas, Majrooh Sultanpuri


