歌词

मन है कलंदर, मन है जोगी मन जो चाहे, मन की होगी फिर क्यूँ मन ने झूठ को पूजा? (फिर क्यूँ मन ने झूठ को पूजा?) दुख-तकलीफ़ें सारी भोगी कभी सदियां, कभी लम्हा कभी मुश्किल, कभी आसां कभी रूठी, कभी झूठी कभी पूरी, कभी टूटी कभी जुगनू, कभी तारा कभी कम-कम, कभी सारा है बोले ज़िंदगी मीठा पर इसका स्वाद है खारा रत्ती-रत्ती, माशा-माशा तिनका-तिनका टूटी आशा भोले है हम समझ ना पाए दुनिया का ये खेल तमाशा रत्ती-रत्ती, माशा-माशा तिनका-तिनका टूटी आशा भोले है हम समझ ना पाए दुनिया का ये खेल तमाशा (पागल, पागल, पागल, पागल, पागल) फिरे फ़कीर रेत में देखो ढूँढे हीरा (पागल, पागल, पागल, पागल, पागल, पागल) फिरे फ़कीर जो भी कोई मंतर-जंतर जो भी कोई मंतर-जंतर फुके तो कम भोले पिया (पागल, पागल, पागल, पागल, पागल, पागल) फिरे फ़कीर आस चाँदी दर्द है सोना धूप का टुकड़ा याद का कोना (पागल, पागल, पागल, पागल, पागल, पागल) तन कटपुतली, मन है खिलौना लिए फिरता रिश्तों का बिछौना आँखों में भी झाँक रहा है मन गागर गरिया हाँक रहा है अमृत बेचा करता था ये जहर की पुड़िया फाँक रहा है फेक मखोटा चेहरा देखा देश ये बदला धीरा-धीरा टूटे लफ़्जों को जोड़ा है कविता कर लेगा कबीरा फिरे फ़कीर पागल फिरे फ़कीर रेत में देखो ढूँढे हीरा जो भी कोई जंतर-मंतर फुके तो कम भोले पिया, पागल मैं रंगरेज, कुम्हार भी मैं हूँ हूँ नफ़रत मैं, हूँ प्यार भी मैं हूँ मुझमें सारा सत्य बसा है कण हूँ मैं संसार भी पुनः जन्म की रस्म करेंगे रूह अपनी भस्म करेंगे मरघट में भी फूल खिलेंगे ऐसा कोई तिलस्म करेंगे रत्ती-रत्ती, माशा-माशा तिनका-तिनका टूटी आशा भोले है हम समझ ना पाए दुनिया का ये खेल तमाशा रत्ती-रत्ती, माशा-माशा तिनका-तिनका टूटी आशा भोले है हम समझ ना पाए दुनिया का ये खेल तमाशा (पागल, पागल, पागल, पागल, पागल) फिरे फ़कीर रेत में देखो ढूँढे हीरा (पागल, पागल, पागल, पागल, पागल, पागल) फिरे फ़कीर जो भी कोई मंतर-जंतर जो भी कोई मंतर-जंतर फुके तो कम भोले पिया (पागल, पागल, पागल, पागल, पागल, पागल) फिरे फ़कीर आस चाँदी दर्द है सोना धूप का टुकड़ा याद का कोना (पागल, पागल, पागल, पागल, पागल, पागल) तन कटपुतली, मन है खिलौना लिए फिरता रिश्तों का बिछौना खुद को तोड़ा खुद को बनाया खुद को रंगा खुद को सजाया खुद का सर जो फोड़ दिया है खुद को फिर से जोड़ लिया है फेंक मखोटा चेहरा देखा देश बदला धीरा-धीरा टूटे लफ़्जों को जोड़ा है कविता कर लेगा कबीरा फिरे फ़कीर पागल फिरे फ़कीर रेत में देखो ढूँढे हीरा जो भी कोई मंतर-जंतर फुके तो कम भोले पिया पागल, पागल
Writer(s): Arijit Singh, Neelesh Misra Lyrics powered by www.musixmatch.com
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