歌词
भीड़ में चलता रहा
नासमझ फ़िरता आवारा
लड़ रहा हूँ ख़ुद से रोज़
ढल रहे सपने मेरे
ढल रहा है मेरा बचपन
आसान ख़ामोश सपनों सा था
बातों में तेरी ना दिलचस्प था
आँखों में रौनक थी, दिल में था ख़्वाब
मैं जो मेरे साथ था
जो हो रहा है, होने दो, जाने दो
कोई मतलब नहीं
जाना कहाँ, आओगे फिर यहीं
कुछ भी तेरा नहीं
भीड़ में चलता रहा
ना कोई साथी-सहारा
डर रहा हूँ ख़ुद से रोज़
बिगड़ी हुई आदतें मेरी सारी
है बिगड़ा भरोसे का दामन
है कहाँ, तू आँख मसल
झूठे ये सारे, तू जी तेरा सच
सारे सवालों के हल तेरे घर
तू ही तेरा हमसफ़र
जो हो रहा है, होने दो, जाने दो
कोई मतलब नहीं
जाना कहाँ, आओगे फिर यहीं
कुछ भी तेरा नहीं
Written by: Doie, Neyhal