積分
演出藝人
Shabbir Kumar
演出者
詞曲
Anu Malik
作曲
Indeevar
作詞
歌詞
सीधा-साधा हर इंसान होता है वो फूल समान
सीधा-साधा हर इंसान होता है वो फूल समान
इंसानियत के दुश्मन देते हैं इतना धोखा
दुख में तपते-तपते, वो बन जाता है लोहा
लोहा, लोहा, लोहा, लोहा
वो कातिल हसता है, ये घायल रोता है
सदा निर्दोषों पर ही जुर्म क्यों होता है
चले ना जब सच्चाई, पैसा बनता है इमां
नेक इंसान के अंदर जाग जाता है सैतान
कानून से इंसान का जब उठ जाता है भरोसा
दुःख में तपते-तपते वो बन जाता है लोहा
लोहा, लोहा, लोहा, लोहा
कचहरी कहाँ गई थी, कहाँ कानून था खोया?
सितम इंसान पे हुआ जब, कहाँ भगवान था सोया
नज़र के सामने जिसकी दुनिया लुट जाए
उसकी जलती आँखों में खून क्यूँ उतर ना आए
बदले की आग भड़की जो
उस आग को किसने रोका
दुःख में तपते-तपते वो बन जाता है लोहा
लोहा, लोहा, लोहा, लोहा
ज़ुल्म का नामो-निशान ना होगा धरती पर
आज हम निकले हैं कफ़न बाँधे सर पर
मिले नफ़रत जिसको, प्यार वो क्या देगा
एक जां के बदले जहां को मिटा देगा
दिल की अदालत का होता है हर इंसाफ़ अनोखा
दुःख में तपते-तपते वो बन जाता है लोहा
लोहा, लोहा, लोहा, लोहा
सीधा-साधा हर इंसान होता है वो फूल समान
इंसानियत के दुश्मन देते हैं इतना धोखा
दुःख में तपते-तपते वो बन जाता है लोहा
लोहा, लोहा, लोहा, लोहा
Written by: Anu Malik, Indeevar