歌詞
[Verse 1]
नदी में तलब है कहीं जो अगर
समंदर कहां दूर है
दमक की ग़रज़ है सोने में अगर
तो जलना भी मंज़ूर है
[Verse 2]
इक उड़ान कब तलक यूँ क़ैद रहेगी
रोको ना छोड़ दो इसे
इक उड़ान ही सपनों को ज़िंदगी देगी
सपनो से जोड़ दो इसे
[Verse 3]
पुरानी दलीलों रस्मों को सभी
अभी से कहे अलविदा
बदलते दिनो के तरीक़ों से
सींचें हम नया गुलसितां
[Verse 4]
इक उड़ान कब तलक यूँ क़ैद रहेगी
रोको ना छोड़ दो इसे
इक उड़ान ही सपनों को ज़िंदगी देगी
सपनो से जोड़ दो इसे
[Verse 5]
इक उड़ान कब तलक यूँ क़ैद रहेगी
रोको ना छोड़ दो इसे
इक उड़ान ही सपनों को ज़िंदगी देगी
सपनो से जोड़ दो इसे
Written by: Amit Trivedi, Amitabh Bhattacharya


