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Chadhta Sooraj | Indu Sarkar | Madhur Bhandarkar | Anu Malik | Mujtaba Aziz Nazan | Extended Version
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出演艺人
Mujtaba Aziz Nazan
Mujtaba Aziz Nazan
表演者
Anu Malik
Anu Malik
表演者
作曲和作词
Anu Malik
Anu Malik
作曲

歌詞

आज जवानी पर इतराने वाले कल पछताएगा आज जवानी पर इतराने वाले कल पछताएगा चढ़ता सूरज धीरे-धीरे ढलता है ढल जाएगा चढ़ता सूरज धीरे-धीरे ढलता है ढल जाएगा ढल जाएगा, ढल जाएगा ढल जाएगा, ढल जाएगा तू यहाँ मुसाफ़िर है, ये सरा-ए-फ़ानी है चार रोज़ की मेहमाँ तेरी ज़िंदगानी है (तेरी ज़िंदगानी है, तेरी ज़िंदगानी है) ज़न, ज़मीन, ज़र, ज़ेवर, कुछ ना साथ जाएगा ख़ाली हाथ आया है, ख़ाली हाथ जाएगा (ख़ाली हाथ जाएगा, ख़ाली हाथ जाएगा) जानकर भी अनजाना बन रहा है दीवाने अपनी उम्र ए-फ़ानी पर तन रहा है दीवाने (तन रहा है दीवाने, तन रहा है दीवाने) आज तक ये देखा है पानेवाला खोता है ज़िंदगी को जो समझा ज़िंदगी पे रोता है (ज़िंदगी पे रोता है, ज़िंदगी पे रोता है) मिटने वाली दुनिया का ऐतबार करता है क्या समझ के तू आख़िर इसे प्यार करता है? (इसे प्यार करता है, इसे प्यार करता है) अपनी-अपनी फ़िक्रों में जो भी है वो उलझा है (जो भी है वो उलझा है, जो भी है वो उलझा है) ज़िंदगी हक़ीक़त में क्या है, कौन समझा है (क्या है, कौन समझा है, क्या है, कौन समझा है) आज समझले... आज समझले, कल ये मौक़ा हाथ ना तेरे आएगा ओ, ग़फ़लत की नींद में सोने वाले धोखा खोएगा चढ़ता सूरज धीरे-धीरे ढलता है ढल जाएगा चढ़ता सूरज धीरे-धीरे ढलता है ढल जाएगा ढल जाएगा, ढल जाएगा ढल जाएगा, ढल जाएगा मौत ने ज़माने को ये समाँ दिखा डाला कैसे-कैसे रुस्तम को ख़ाक में मिला डाला (ख़ाक में मिला डाला, ख़ाक में मिला डाला) याद रख सिकंदर के हौसले तो आली थे जब गया था दुनिया से दोनों हाथ ख़ाली थे (दोनों हाथ ख़ाली थे, दोनों हाथ ख़ाली थे) अब ना वो हलाकू हैं और ना उसके साथी हैं जंग-जू वो पोरस है और ना उसके हाथी हैं (और ना उसके हाथी हैं, और ना उसके हाथी हैं) कल जो तन के चलते थे अपनी शान-ओ-शौकत पर शम्मा तक नहीं जलती आज उनकी तुर्बत पर (आज उनकी तुर्बत पर, आज उनकी तुर्बत पर) अदना हो या आला हो सबको लौट जाना है (सबको लौट जाना है, सबको लौट जाना है) मुफ़्लिस-ओ-तवंगर का क़ब्र ही ठिकाना है (क़ब्र ही ठिकाना है, क़ब्र ही ठिकाना है) जैसी करनी... जैसी करनी वैसी भरनी, आज किया कल पाएगा सर को उठाकर चलने वाला एक दिन ठोकर खोएगा चढ़ता सूरज धीरे-धीरे ढलता है ढल जाएगा चढ़ता सूरज धीरे-धीरे ढलता है ढल जाएगा (चढ़ता सूरज धीरे-धीरे ढलता है ढल जाएगा) (चढ़ता सूरज धीरे-धीरे ढलता है ढल जाएगा) मौत सबको आनी है, कौन इससे छूटा है तू फ़ना नहीं होगा ये ख़याल झूठा है (ये ख़याल झूठा है, ये ख़याल झूठा है) साँस टूटते ही सब रिश्ते टूट जाएँगे बाप, माँ, बहन, बीवी, बच्चे छूट जाएँगे (बच्चे छूट जाएँगे, बच्चे छूट जाएँगे) तेरे जितने हैं भाई वक़्त का चलन देंगे छीनकर तेरी दौलत दो ही गज़ कफ़न देंगे (दो ही गज़ कफ़न देंगे, दो ही गज़ कफ़न देंगे) जिनको अपना कहता है, कब ये तेरे साथी हैं क़ब्र है तेरी मंज़िल और ये बराती हैं (और ये बराती हैं, और ये बराती हैं) ला के क़ब्र में तुझको पुर-तपाक डालेंगे अपने हाथ से तेरे मुँह पे ख़ाक डालेंगे (मुँह पे ख़ाक डालेंगे, मुँह पे ख़ाक डालेंगे) तेरी सारी उल्फ़त को ख़ाक में मिला देंगे तेरे चाहने वाले कल तुझे भुला देंगे (कल तुझे भुला देंगे, कल तुझे भुला देंगे) इसलिए ये कहता हूँ, ख़ूब सोच ले दिल में "क्यूँ फँसाए बैठा है जान अपनी मुश्किल में?" (जान अपनी मुश्किल में, जान अपनी मुश्किल में) कर गुनाहों से तौबा आके बस सँभल जाए (आके बस सँभल जाए, आके बस सँभल जाए) दम का क्या भरोसा है, जाने कब निकल जाए (जाने कब निकल जाए, जाने कब निकल जाए) मुट्ठी बाँध के आने वाले... मुट्ठी बाँध के आने वाले हाथ पसारे जाएगा धन, दौलत, जागीर से तूने क्या पाया? क्या पाएगा? चढ़ता सूरज धीरे-धीरे ढलता है ढल जाएगा चढ़ता सूरज धीरे-धीरे ढलता है ढल जाएगा चढ़ता सूरज धीरे-धीरे ढलता है ढल जाएगा चढ़ता सूरज धीरे-धीरे ढलता है ढल जाएगा ढल जाएगा, ढल जाएगा ढल जाएगा, ढल जाएगा ढल जाएगा, ढल जाएगा चढ़ता सूरज धीरे-धीरे ढलता है ढल जाएगा चढ़ता सूरज धीरे-धीरे ढलता है ढल जाएगा
Writer(s): Anu Malik, Qaiser Ratnagirvi, Aziz Nazan Lyrics powered by www.musixmatch.com
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