歌詞
रोती हैं आँखें, जलता है दिल ये
जब अपने घर के फेंके दिए से
आँगन पराया जगमगाता है
आदमी मुसाफ़िर है, आता है, जाता है
आते-जाते रस्ते में यादें छोड़ जाता है
आदमी मुसाफ़िर है, आता है, जाता है
आते-जाते रस्ते में यादें छोड़ जाता है
यादें छोड़ जाता है, यादें छोड़ जाता है
Written by: Anand Bakshi, Laxmikant-Pyarelal