歌詞

बैठी है मौन सजा के, एड़ी पे ज़ंग लगा के आलना बीच भँवर में, तिनके पे आस लगा के हाँ, बैठी है मौन सदा के, हाँ-हाँ, एड़ी पे ज़ंग लगा के पैरों में चाँदी के धागे सोने की अंगूठी को तप-तप पिघला के बावरी, ऐंठी, इतराई सिंदूरी दिलासों का एक पिंजरा बना के पिंजरा बना के, पिंजरा बना के पिंजरा बना के, पिंजरा बना के हो, चौथे की राख-विभूति चौखट को दीवार बना के हाँ, बैठी है मौन सजा के हाँ, एड़ी पे ज़ंग लगा के
Writer(s): Trivedi Amit, Dutt Anvita Lyrics powered by www.musixmatch.com
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