音樂影片

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積分

演出藝人
Lucke
Lucke
演出者
詞曲
Lokesh maurya
Lokesh maurya
詞曲創作
製作與工程團隊
Mitwan Soni
Mitwan Soni
製作人

歌詞

दुख शुरू थे मेरे जनम से पहले
जनम से पहले मेरी मौत इंतज़ार मे
कैसे कहूँ कहानियाँ?
अब सुनो पूरी लंबी कतार में
जनम हुआ मेरा jail में
माँ-बाप का चेहरा मैने देखा नही
हाँ, रोती रही माँ देवकी
जुदाई मिली मुझे भेंट में
मामा से मिला उपहार ये
मेरे मात-पिता लाचार थे
छह भाईयो को मारा सामने
आँसू थे माँ की आँखों मे
वैसे तो था भगवान मैं
अजीब सा ये खेल है
मेरे मात-पिता मेरे देवता
वो दोनों ही थे जेल में
कर्तव्य मिले मुझे जनम से
बचपन बीता संघर्ष मे
जिस माँ ने पाला-पोषा मुझे
उससे भी हो गया दूर मैं
विधि का क्या विधान था
क्या लेख लिखा था कर्मों का
तुम ठीक से रो तो लेते हो
मैं रो भी ना पाया चैन से
कहने को तो मैं सबकुछ था
मैं राजा भी, मैं रंक भी
कष्टों से भरा था जीवन मेरे
दुखो का मेरे अंत नी
खेल कूद की उम्र में
कर्तव्य मेरे अनेक थे
छुड़वाना था मेरे माता-पिता को
कई बरसों से कैद थे
धर्म के चलते कर्म से
वो वृंदावन भी छोड़ दिया
मथुरा की उन गलियों से भी
अपना दामन मोड़ लिया
वृंदावन के साथ-साथ
किस्मत भी मेरी रूठ गई
हाँ, प्राणों से भी प्रिय मेरी
वो राधा रानी छूट गई
बांसुरी को भी त्याग दिया
सब छोड़–छाड़ के दूर गया
सुदर्शन धारण करके कान्हा
धुन मुरली की भूल गया
धर्म बचाने की खातिर अब
हस्तिनापुर को चला गया मैं
माखन चोरी करता था कभी
न्यायधीश अब बन गया
समय का चक्र अजीब था
में जीत के भी हार गया
धर्म बचाने वाले को
दुनिया ने कपटी बता दिया
तरह-तरह के श्राप मिले
अश्रु की बूंदे सूख गयी
माँ गांधारी के श्राप से
मेरी द्वारिका नगरी डूब गयी
मेरी बाँसुरी भी छूट गयी
मेरी द्वारिका भी डूब गयी
मैंने क्या ही पाया जीवन से
जब प्रेमिका ही दूर गयी
विश्राम करने लेटा था मैं
तीर पैर में आ लगी
तुम जीते ज़िंदगी चैन से
मुझे मौत चैन की ना मिली
मानव के इस रूप में
मैंने जाने क्या-क्या देखा
मेरे वंश का पतन देखा
बर्बरीक का मस्तक देखा
द्रौपदी का चीरहरण
अभिमन्यु का अकाल मरण
कुरूक्षेत्र की भूमि मे
भारी भरकम विध्वंश देखा
Written by: Lokesh maurya
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