歌詞

वो खत के पुर्ज़े उड़ा रहा था वो खत के पुर्ज़े उड़ा रहा था हवाओं का रुख़ दिखा रहा था वो खत के पुर्ज़े उड़ा रहा था कुछ और भी हो गया नुमाया कुछ और भी हो गया नुमाया मैं अपना लिखा मिटा रहा था मैं अपना लिखा मिटा रहा था हवाओं का रुख़ दिखा रहा था वो खत के पुर्ज़े उड़ा रहा था उसी का ईमान बदल गया है उसी का ईमान बदल गया है कभी जो मेरा खु़दा रहा था कभी जो मेरा खु़दा रहा था हवाओं का रुख़ दिखा रहा था वो खत के पुर्ज़े उड़ा रहा था वो एक दिन एक अजनबी को वो एक दिन एक अजनबी को मेरी कहानी सुना रहा था मेरी कहानी सुना रहा था हवाओं का रुख़ दिखा रहा था वो खत के पुर्ज़े उड़ा रहा था वो उम्र कम कर रहा था मेरी वो उम्र कम कर रहा था मेरी मैं साल अपने बढ़ा रहा था मैं साल अपने बढ़ा रहा था हवाओं का रुख़ दिखा रहा था वो खत के पुर्ज़े उड़ा रहा था हवाओं का रुख़ दिखा रहा था
Writer(s): Gulzar, Jagjit Singh Lyrics powered by www.musixmatch.com
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