歌詞
झील पे जैसे नाव चले आहिस्ता, आहिस्ता
बादल में ऐसे ये चाँद छुपे
कहने को है ये भी चेहरा
छोड़ आए पीछे हम किस को कहाँ
उनको ख़बर है कि हम हैं यहाँ
आए बहारों ने महकाई राह
फिर मिलने आएँगे क्या?
"बस थोड़ी दूरी," ये रास्ता कहे
रुकने लगे, फिर चल दिए
जब वो हमे यूँ दिलाते हैं वास्ता, वास्ता
रिश्ते हम ऐसे निभाते हैं
रात से जैसे कोई सुबह
अब है नज़र में एक ऐसा समाँ
ले कर ही आएँगे तुम को यहाँ
अनजान राहों के अनजान राही
जाएँ तो जाएँ कहाँ?
"तुम हो सलामत," ये दिल यूँ कहे
"चाहे मिलें या ना मिलें"
दूर से जो बुलाए तो आजा ना, आजा ना
चाहे सवारी भी ना मिले
हो सके तो चल के ही आना
Written by: Lucky Ali, Syed Aslam