Lyrics

फिर से उड़ चला उड़के छोड़ा है जहान पीछे, मैं तुम्हारे अब हूँ हवाले अब दूर-दूर लोगबाग, मीलों दूर ये वादियाँ घर धुआँ-धुआँ तन हर बदली चली आती है छूने अरे, कोई बदली कभी कहीं कर दे तन गीला, ये भी ना हो किसी मंज़र पर मैं रुका नहीं, कभी खुद से भी मैं मिला नहीं ये गिला तो है, मैं ख़फ़ा नहीं शहर एक से, गाँव एक से, लोग एक से, नाम एक फिर से उड़ चला मैं मिट्टी जैसे सपने ये कितना भी पलकों से झाड़ो, फिर आ जाते हैं इतने सारे सपने क्या कहूँ किस तरह से मैंने तोड़े हैं, छोड़े हैं क्यूँ फिर साथ चले, मुझे लेके उड़े ये क्यूँ? कभी डाल-डाल, कभी पात-पात मेरे साथ-साथ फिरे दर-दर ये कभी सहरा, कभी सावन, बनूँ रावण, जियूँ मर-मर के कभी डाल-डाल, कभी पात-पात कभी दिन है रात, कभी दिन दिन है क्या सच है? क्या माया है, दाता? है दाता इधर-उधर, तितर-बितर क्या है पता, हवा ले ही जाए तेरी ओर खींचे तेरी यादें, तेरी यादें, तेरी ओर रंग-बिरंगे वहमों में मैं उड़ता फ़िरूँ (मैं उड़ता फ़िरूँ, मैं उड़ता फ़िरूँ) रंग-बिरंगे वहमों में मैं उड़ता फ़िरूँ (मैं उड़ता फ़िरूँ, मैं उड़ता फ़िरूँ)
Writer(s): Irshad Kamil Lyrics powered by www.musixmatch.com
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