Lyrics
उलझन सुलझे ना, रस्ता सूझे ना
जाऊँ कहाँ? मैं जाऊँ कहाँ?
उलझन सुलझे ना, रस्ता सूझे ना
जाऊँ कहाँ? मैं जाऊँ कहाँ?
मेरे दिल का अँधेरा हुआ और घनेरा
कुछ समझ ना पाऊँ, क्या होना है मेरा?
खड़ी दोराहे पर, ये पूछूँ घबरा कर
खड़ी दोराहे पर, ये पूछूँ घबरा कर
"जाऊँ कहाँ? मैं जाऊँ कहाँ?"
उलझन सुलझे ना, रस्ता सूझे ना
जाऊँ कहाँ? मैं जाऊँ कहाँ?
जो साँस भी आए, तन चीर के जाए
इस हाल से कोई किस तरह निभाए
ना मरना रास आया, ना जीना मन भाया
ना मरना रास आया, ना जीना मन भाया
जाऊँ कहाँ? मैं जाऊँ कहाँ?
उलझन सुलझे ना, रस्ता सूझे ना
जाऊँ कहाँ? मैं जाऊँ कहाँ?
रुत ग़म की गले ना, कोई आस फले ना
तक़दीर के आगे मेरी पेश चले ना
बहुत की तदबीरें ना टूटी ज़ंजीरें
बहुत की तदबीरें ना टूटी ज़ंजीरें
जाऊँ कहाँ? मैं जाऊँ कहाँ?
उलझन सुलझे ना, रस्ता सूझे ना
जाऊँ कहाँ? मैं जाऊँ कहाँ?
Writer(s): Ravi, Ludiavani Sahir
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