Lyrics

कौन जाने कि तुम्हें याद भी है या कि नहीं कौन जाने कि तुम्हें याद भी है या कि नहीं मैंने एक ख़त तुम्हें लिखा था परेशानी में मैंने एक ख़त तुम्हें लिखा था परेशानी में कौन जाने कि तुम्हें याद भी है या कि नहीं मैंने एक ख़त तुम्हें लिखा था परेशानी में मैंने लिखा था ज़रूरत है सहारे की मुझे दो सहारा जो मुझे तुम तो इनायत होगी इक सहारे की तुम्हें भी तो ज़रूरत होगी कर लो शामिल मुझे आँखों की निगहबानी में मैंने एक ख़त तुम्हें लिखा था परेशानी में कौन जाने कि तुम्हें याद भी है या कि नहीं मैंने एक ख़त तुम्हें लिखा था परेशानी में मैंने लिखा था मेरा कोई नहीं दुनिया में महके आकाश पे जैसे कोई बादल तनहा जैसे बसती के किसी मोड़ पे पीपल तनहा जैसे मुरझाया हुआ कोई कमल पानी में मैंने एक ख़त तुम्हें लिखा था परेशानी में कौन जाने कि तुम्हें याद भी है या कि नहीं मैंने एक ख़त तुम्हें लिखा था परेशानी में मैंने लिखा था मगर ये मुझे मालूम ना था मैंने तुम्हें रूह की जहाँगीर नहीं लिख सकता ख़त तो लिख सकता हूँ, तक़दीर नहीं लिख सकता भूल जाना, भूल जाना कि ख़ता हो गई नादानी में मैंने एक ख़त तुम्हें लिखा था परेशानी में कौन जाने कि तुम्हें याद भी है या कि नहीं मैंने एक ख़त तुम्हें लिखा था परेशानी में मैंने एक ख़त तुम्हें लिखा था परेशानी में मैंने एक ख़त तुम्हें लिखा था परेशानी में
Writer(s): Zafar Gorakhpuri, Ashok Khosla Lyrics powered by www.musixmatch.com
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