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COMPOSITION & LYRICS
Punit Singh
Punit Singh
Songwriter

Lyrics

इन रातों में इक छिपी जाँ भी तो है क्या कहें ना कहें, इन में, हाँ, नाम भी तो है मैं सोचता हूँ, जहाँ तेरा नाम ले हाँ, गुम हूँ मैं और दिल भी ये बदनाम ही तो है इन रातों में इक छिपी जाँ भी तो है क्या कहें ना कहें, इन में, हाँ, नाम भी तो है मैं सोचता हूँ, जहाँ तेरा नाम लें हाँ, गुम हूँ मैं और दिल भी ये बदनाम ही तो है तो ये रात, इसे खोने दो ना जो बात उसे होने दो ना वो खुशी, ग़म की घड़ी नहीं है हर ज़मीं को आसमाँ की कमी है वहाँ जहाँ गहराई हो तेरी बातें छुपी हों जैसे पीछे मुस्काती तू ना, ना-ना, ना-ना, ना-ना, ना-ना ना-ना, ना-ना, ना-ना, ना-ना-ना इन सुबहों में फिर नया काम भी तो है लो घुल गई जो चीनी, ये जाम ही तो है मैं सोचता हूँ, जहाँ तेरा नाम लें मायूस हूँ और दिल भी ये परेशाँ भी तो है तो ये दिन, इसे खोने दो ना थोड़ा मुझे रोने दो ना हँस लूँगा फिर मेरे होने पे अब बीज हूँ खड़ा मैं, मैं ही कोने में मैं ना, ना-ना, ना-ना, ना-ना, ना-ना, ना-ना इन शामों में इक छिपी शाम भी तो है हाँ, हम यहाँ, तुम वहाँ, पैग़ाम भी तो है तू देखता होगा ना वो साफ़ आसमाँ? जहाँ सपने हैं, ख़्वाहिशें, वहाँ काम भी तो है इन शामों में इक छिपी शाम भी तो है हाँ, हम यहाँ, तुम वहाँ, पैग़ाम भी तो है तू देखता होगा ना वो साफ़ आसमाँ? जहाँ सपने हैं, ख़्वाहिशें, वहाँ काम भी तो है मेरी जाँ, माफ़ी दे-दे, तू आजा मैं गुम गया था, तू ही है मेरा ख़्वाजा मेरी जाँ, माफ़ी दे-दे, तू आजा मैं गुम गया था, तू ही है मेरा ख़्वाजा हाँ-हाँ-हाँ, ना-ना, ना-ना, ना-ना, ना-ना ना-ना, ना-ना, ना-ना, ना-ना, ना-ना
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