Lyrics
धर्म है तेरा धर्मानम
कर्म है तेरा कर्मानम
आग में पग-पग चला है जो
वही डगर है उसका प्रस्थानम
धर्म है तेरा धर्मानम
कर्म है तेरा कर्मानम
आग में पग-पग चला है जो
वही डगर है उसका प्रस्थानम
यत्र-सर्वत्र जन्मानम
भर्गो देवस्य धीमहि
युगे-युगे यही प्रथा-कथा
परिणाम परीक्षम प्रस्थानम
उबलते पानी में
कभी भी किसी का अक्स दिखता नहीं
संयम खो दे जो शख़्स, कभी टिकता नहीं
टिकता नहीं, टिकता नहीं
काँटों भरा ये वृंदावन
पाप-पुण्य का गठबंधन
आग में पग-पग चला है जो
वही डगर है उसका प्रस्थानम
पथरीले पथ पे जो चलता गया
वो एक क्षण रुकता नहीं
उसके मनोबल का कण-कण झुकता नहीं
झुकता नहीं, झुकता नहीं
फ़िर क्या राजा, क्या सिंहासन?
पाप की परिभाषा पावन
अक्रम अखंड अक्षया
परिणाम परीक्षम प्रस्थानम
कर्मों का खेल है, धर्मों की चाल है
ये क़िस्सा चलता रहे
बुझाओ जो ये आग, उतना बढ़े
उतना बढ़े, उतना बढ़े
धर्म है तेरा धर्मानम
कर्म है तेरा कर्मानम
आग में पग-पग चला है जो
वही डगर है उसका प्रस्थानम
यत्र-सर्वत्र जन्मानम
भर्गो देवस्य धीमहि
युगे-युगे यही प्रथा-कथा
परिणाम परीक्षम प्रस्थानम
(प्रस्थानम)
Writer(s): Farhad Shamshuddin Samji
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