Lyrics
अठरा बरस की कन्वारी काली थी
घूंघट में मुखड़ा छुपाके चली थी
अठरा बरस की कन्वारी काली थी
घूंघट में मुखड़ा छुपाके चली थी
फासी गोरी
फासी गोरी चन्ने के खेत में
हुई चोरी चन्ने के खेत में
पहले तो जुल्मे ने पकड़ी कलाई
फिर उसने चुपके से उंगली दबाई
पहले तो जुल्मे ने पकड़ी कलाई
फिर उसने चुपके से उंगली दबाई
जौरा जौरी
जोरा जोरि चन्ने के खेत में
हुई चोरी चन्ने के खेत में
तू तू तू तू
मेरे आगे पीछे शिकारियों के घेरे
बैठे वहां सारे जवानी के लुटेरे
हाँ
बैठे वहां सारे जवानी के लुटेरे
हारी मैं हारी पुकारके
यहाँ वहाँ देके निहारके
यहाँ वहाँ देके निहारके
जुबां पे चुनरी गिराके चली थी
हाँ
हाथों में कंगन सजाके चली थी
चूड़ी टूटी
चूड़ी टूटी चन्ने के खेत में
जोरा जोरि चन्ने के खेत में
तौबा मेरी तौबा
ऐसे कैसे सब को कहानी मैं बताऊँ
तौबा मेरी तौबा
ऐसे कैसे सब को कहानी मैं बताऊँ
क्या क्या हुआ मेरे साथ रे
कोई भी तो आया न हाथ रे
कोई भी तो आया न हाथ रे
लहंगे में गोटा जादाके चली थी
लहंगे में गोटा जादाके चली थी
बालों में गजरा लगाके चली थी
बाली छूती
बाली छूटि चन्ने के खेत में
ो जोरा जोरि चन्ने के खेत में
अठरा बरस की कन्वारी काली थी
घूंघट में मुखड़ा छुपाके चली थी
फासी गोरी
फासी गोरी चन्ने के खेत में
रे हुई चोरी चन्ने के खेत में
पहले तो जुल्मे ने पकड़ी कलाई
फिर उसने चुपके से उंगली दबाई
जौरा जौरी
जोरा जोरि चन्ने के खेत में
रे हुई चोरी चन्ने के खेत में
Writer(s): Sameer Anjaan, Anand Chitragupta Shrivastava, Milind Chitragupta Shrivastava
Lyrics powered by www.musixmatch.com