Lyrics

गुस्ताख़ियाँ प्यार में हो जाने दे यूँ बे-वजह कर लूँ ज़रा बदमाशियाँ छू लेने दे कुछ इस तरह हम दो बदन, जाँ एक हैं आजा मेरी बाँहों में आ तू मेरी मोहब्बत है तू ही मेरी इबादत है हूँ फ़ना तेरे इश्क़ में तुझे फिर क्या शिकायत है? ऐ पल, ज़रा तू ठहर जा जी लूँ, ऐसे बसर जा फिर होगी सुबह, ये है किसको पता हर लम्हा मेरा है तुझसे जुड़ा सूनी-सूनी इन रातों की, ख़्वाहिशें मुलाक़ातों की भीगे-भीगे जज़्बातों से करता हूँ ये वादा मैं तू भी आजा, तू भी आजा तू भी आजा, तू भी आजा हम दो बदन, जाँ एक हैं आजा मेरी बाँहों में आ तू मेरी मोहब्बत है तू ही मेरी इबादत है हूँ फ़ना तेरे इश्क़ में तुझे फिर क्या शिकायत है? ये आरज़ू थी, तू मुझको जो मिला बंजर ये ज़मीं पे जैसे फूल खिला हूँ क़रीब तेरे, फिर कैसा गिला? प्यार का दे कुछ तो सिला भीगी-भीगी इन रातों में और बहकी हुई साँसों से मीठी-मीठी इन बातों में भीगा लूँ तुझे बाँहों में मेरे दिल में तू समा जा लब तेरे छू लूँ, इतना सता ना हम दो बदन, जाँ एक हैं आजा मेरी बाँहों में आ तू मेरी मोहब्बत है तू ही मेरी इबादत है हूँ फ़ना तेरे इश्क़ में तुझे फिर क्या शिकायत है?
Writer(s): Ghanist Baghel, Roshan Vaishnav Lyrics powered by www.musixmatch.com
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