Lyrics

सोच, कितना मज़ा आएगा जब हम-तुम पहाड़ो के शहर में रहेंगे और तेरे-मेरे दिन भी कुछ घंटों में गुजरेंगे सोच, कितना मज़ा आएगा जब हम-तुम बस एक ही सड़क पे चलेंगे हाथों में हाथ लिए, बस बातें करेंगे बातें कुछ अंजानी सी कुछ नकली सी, कुछ दीवानी सी ओ हमपे, ये समा भी मुस्कुराएगा सोच, कितना मज़ा आएगा हा, हा, हा, हा, हा, हा हा, हा-हा, मज़ा आएगा हा, हा, हा, हा, हा, हा हा, हा-हा... आम का पौधा जो बचपन में बोया था एक राजा का बेटा जो जंगल में खोया था एक आम का पौधा जो बचपन में बोया था एक राजा का बेटा जो जंगल में खोया था ओ तेरी ये सब बातें मुझे अछी लगती है ओ जब तू छोटी सी और प्यारी सी पांच साल की एक बच्ची लगती है ओ, कोई पुराना किस्सा तेरे चेहरे पे हँसी लाएगा सोच, कितना मज़ा आएगा हा, हा, हा, हा, हा, हा हा, हा-हा, मज़ा आएगा हा, हा, हा, हा, हा, हा हा, हा-हा...
Writer(s): Gajendra Verma Lyrics powered by www.musixmatch.com
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