Lyrics
रहें ना रहें हम, महका करेंगे
बन के कली, बन के सबा बाग़-ए-वफ़ा में
रहें ना रहें हम
मौसम कोई हो इस चमन में
रंग बनके रहेंगे हम ख़िरामाँ
चाहत की ख़ुशबू यूँ ही जुल्फ़ों
से उड़ेगी, खिज़ाँ हो या बहारें
यूँ ही झूमते, यूँ ही झूमते और खिलते रहेंगे
बन के कली, बन के सबा बाग़-ए-वफ़ा में
रहें ना रहें हम, महका करेंगे
बन के कली, बन के सबा बाग़-ए-वफ़ा में
खोए हम ऐसे, क्या है मिलना
क्या बिछड़ना, नहीं है याद हमको
कूचे में दिल के जब से आए
सिर्फ़ दिल की ज़मीं है याद हमको
इसी सर ज़मीं, इसी सर ज़मीं पे हम तो रहेंगे
बन के कली, बन के सबा बाग़-ए-वफ़ा में
रहें ना रहें हम
जब हम ना होंगे, जब हमारी
ख़ाक पे तुम रुकोगे चलते-चलते
अश्क़ों से भीगी चाँदनी में
एक सदा सी सुनोगे चलते-चलते
वहीं पे कहीं, वहीं पे कहीं हम तुमसे मिलेंगे
बन के कली, बन के सबा बाग़-ए-वफ़ा में
रहें ना रहें हम, महका करेंगे
बन के कली, बन के सबा बाग़-ए-वफ़ा में
रहें ना रहें हम
Writer(s): Majrooh Sultanpuri, Roshan, Anurag-abhishek
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