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माई तोरे रूप हजार मातु जागदंबिका
जगदंबिका जादंबिका।।
माई तोरे रूप हजार मातु जगदंबिका।
हो रही जय जयकार माई गौरा महारानी
तुमसे को लड़ सके कौन ऐसो वरदानी
मधु कैटव से वीर को छिन में दीन्हो मार
सात दीप नौ खंड में हो रही जय जयकार।।
तोरे रूप हजार माई जगदम्बा भवानी
मां सीता सरस्वती बनी राधा ब्रजरानी
तू कंकाली कालिका नगन लए कृपाण
ओ महाकाली अंबिका अजब तुम्हारी शान।।
अजब तुम्हारी शान देव गुण गाए तुम्हारे
मार असुर बलवान जगत के काज संवारे
मां जागतरण लक्ष्मी महिमा कही न जाए
रिद्धि सिद्धि मां देत है जो जन ध्यान लगाए।।
मातु जगदंबिका
माई तोरे रूप हजार मातु जगदंबिका।।
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