Lyrics

धूप की तुम हो रोशनी, मुझपे थोड़ा बिखरो ना मेरे दिल की इन गलियों से तुम एक दफ़ा गुज़रो ना नज़रों से औरों की बचा कर दूर ले जाना है कहीं तुमको अपने दिल में छुपा कर हमको छुप जाना है कहीं है इतनी सी गुज़ारिश, मुझ पे नज़र-ए-करम कर दो ना बन के बारिश तुम इक दिन मुझपे जमके बरसो ना ओ, बन के बारिश तुम इक दिन मुझपे जमके बरसो ना तेरी मीठी-मीठी बातें, वो तन्हा रातें बहकाए हर पल मुझे तेरी आँखें तू जब बलखा के चलती है, सीने में ख़्वाहिश पलती है इक मोम जैसे पिघलती है, मुझमें तू ऐसे ढलती है बस नाम मेरा अपने दिल पे इक बार सनम लिख दो ना बन के बारिश तुम इक दिन मुझपे जमके बरसो ना ओ, बन के बारिश तुम इक दिन मुझपे जमके बरसो ना तेरे पास जो आऊँ, कई ख़्वाब सजाऊँ तेरे चाँद से मुखड़े को तकता जाऊँ मेरी रूह जो साँसें बदलती है, हर साँस में तू ही चलती है धड़कन कुछ ऐसे मचलती है, तेरे बिन अब ना ये सँभलती है नैना मिला कर नैनों से इक बार ज़रा देखो ना बन के बारिश तुम इक दिन मुझपे जमके बरसो ना ओ, बन के बारिश तुम इक दिन मुझपे जमके बरसो ना
Writer(s): Altaaf Sayyed, Anand Singh Lyrics powered by www.musixmatch.com
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