Lyrics
एक रोज़ ज़िंदगी के रू-ब-रू आ बैठे
ज़िंदगी ने पूछा, "दर्द क्या है, क्यूँ होता है
कहाँ होता है?" ये भी तो पता नहीं चलता
तनहाई क्या है आख़िर?
कितने लोग तो हैं, फिर तन्हा क्यूँ हो?
मेरा चेहरा देख कर ज़िंदगी ने कहा
"मैं तुम्हारी जुड़वा हूँ, मुझसे नाराज़ ना हुआ करो"
तुझसे नाराज़ नहीं ज़िंदगी, हैरान हूँ मैं
हो, हैरान हूँ मैं
तेरे मासूम सवालों से परेशान हूँ मैं
हो, परेशान हूँ मैं
तुझसे नाराज़ नहीं ज़िंदगी, हैरान हूँ मैं
हो, हैरान हूँ मैं
जीने के लिए सोचा ही नहीं
दर्द सँभालने होंगे
जीने के लिए सोचा ही नहीं
दर्द सँभालने होंगे
मुस्कुराएँ तो मुस्कुराने के
कर्ज़ उतारने होंगे
मुस्कुराऊँ कभी तो लगता है
जैसे होठों पे कर्ज़ रखा है
तुझसे नाराज़ नहीं ज़िंदगी, हैरान हूँ मैं
हो, हैरान हूँ मैं
आज अगर भर आई हैं
बूँदें, बरस जाएँगी
आज अगर भर आई हैं
बूँदें, बरस जाएँगी
कल क्या पता इनके लिए
आँखें तरस जाएँगी
जाने कब गुम हुआ, कहाँ खोया
एक आँसू छुपा के रखा था
तुझसे नाराज़ नहीं ज़िंदगी, हैरान हूँ मैं
हो, हैरान हूँ मैं
तेरे मासूम सवालों से परेशान हूँ मैं
हो, परेशान हूँ मैं
परेशान हूँ मैं
Writer(s): Gulzar, Rahul Dev Burman
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