Kredity

COMPOSITION & LYRICS
Vivek Dadhich
Vivek Dadhich
Songwriter

Texty

A तू हर सुबह मुझको जाने से रोके, ना मानने पे नाराज़ हो के
रोते हुए अपनी माँ से लिपट के, देहली से मुझको बाहर निकलते
देखा करती होगी, जाने तेरे नन्हे से दिल पे, क्या गुजरती होगी
पापा मेरे दिल की सब जानते हैं, हर एक इशारे को पहचानते हैं
फिर क्यूँ सुबह यूँ चुराते हैं नज़रें, सब जानके भी अनजान से हैं
मासूम से इन सवालों में पलकें भिगोया करती होगी
जाने तेरे नन्हे से दिल पे, क्या गुजरती होगी
मर्ज़ी है या है कोई मजबूरी, क्या है जो मुझसे भी ज़्यादा ज़रूरी
गलती हुई कोई मुझसे तो कहना, माँगूगी माफ़ी, कहा दूँगी sorry
क्या है मेरी बेरुख़ी की वज़ह, तू टटोला करती होगी
जाने तेरे नन्हे से दिल पे, क्या गुजरती होगी
मुश्किल घड़ी हर सुबह लौट आती, ज़ालिम जुदाई कितना रुलाती
पर शाम को लौटते ही मुझे तू, क्या खिलखिला के, गले से लगाती
कैसे मेरी रोज़ की बेवफ़ाई, भुलाया करती हो
जाने तेरे नन्हे से दिल पे, क्या गुजरती होगी
जाने तेरे नन्हे से दिल पे, क्या गुजरती होगी
Written by: Vivek Dadhich
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