Kredity
PERFORMING ARTISTS
JalRaj
Performer
COMPOSITION & LYRICS
Amit Trivedi
Composer
Javed Akhtar
Lyrics
Texty
कभी-कभी लगता है, कहीं दूर जा के रहूँ
दूर, बहुत दूर
जहाँ बस मैं, तुम और ये शाम हो
शाम भी कोई जैसे है नदी
लहर-लहर जैसे बह रही है
कोई अनकही, कोई अनसुनी
बात धीमे-धीमे कह रही है
कहीं ना कहीं जागी हुई है कोई आरज़ू
कहीं ना कहीं खोए हुए से हैं मैं और तू
ये शाम मस्तानी, मदहोश किए जाए
मुझे डोर कोई खींचे, तेरी ओर लिए जाए
ये शाम मस्तानी, मदहोश किए जाए
मुझे डोर कोई खींचे, तेरी ओर लिए जाए
कि boom, boom, boom
पा-रा, पा-रा, हैं ख़ामोश दोनों
कि boom, boom, boom
पा-रा, पा-रा, हैं मदहोश दोनों
सुहानी-सुहानी है ये कहानी
जो ख़ामोशी सुनाती है
"जिसे तूने चाहा होगा वो तेरा"
मुझे वो ये बताती है
मैं मगन हूँ, पर ना जानूँ
कब आने वाला है वो पल
जब हौले-हौले, धीरे-धीरे
खिलेगा दिल का ये कमल
ये शाम मस्तानी, मदहोश किए जाए
मुझे डोर कोई खींचे, तेरी ओर लिए जाए
ये शाम मस्तानी, मदहोश किए जाए
मुझे डोर कोई खींचे, तेरी ओर लिए जाए
जो गुमसुम-गुमसुम हैं ये फ़िज़ाएँ
जो कहती-सुनती हैं ये निगाहें
गुमसुम-गुमसुम हैं ये फ़िज़ाएँ, है ना?
कि boom, boom, boom
पा-रा, पा-रा, हैं ख़ामोश दोनों
कि boom, boom, boom
पा-रा, पा-रा, हैं मदहोश दोनों
कभी-कभी लगता है...
Written by: Amit Trivedi, Javed Akhtar