Lyrics

पिघले नीलम सा बहता हुआ ये समाँ नीली-नीली सी खामोशियाँ ना कहीं है ज़मीं, ना कहीं आसमाँ सरसराती हुई टहनियाँ, पत्तियाँ कह रही हैं कि बस एक तुम हो यहाँ सिर्फ़ मैं हूँ, मेरी साँसें हैं और मेरी धड़कने ऐसी गहराइयाँ, ऐसी तनहाइयाँ और मैं, सिर्फ़ मैं अपने होने पे मुझको यक़ीन आ गया
Writer(s): Javed Akhtar Lyrics powered by www.musixmatch.com
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