Lyrics

पर्बतों के पेड़ों पर शाम का बसेरा है सुरमई उजाला है, चम्पई अंधेरा है दोनों वक़्त मिलते हैं दो दिलों की सूरत से आस्मं ने खुश होके रँग सा बिखेरा है ठहते-ठहरे पानी में गीत सर-सराते हैं भीगे-भीगे झोंकों में खुशबुओं का डेरा है पर्बतों के पेड़ों पर ... क्यों न जज़्ब हो जाएं इस हसीन नज़ारे में रोशनी का झुरमट है मस्तियों का घेरा है पर्बतों के पेड़ों पर ... अब किसी नज़ारे की दिल को आर्ज़ू क्यों हो जब से पा लिया तुम को सब जहाँ मेरा है जब से पा लिया तुम को सब जहाँ मेरा है पर्बतों के पेड़ों पर
Writer(s): N/a Khaiyyaam, N/a Sahir Lyrics powered by www.musixmatch.com
instagramSharePathic_arrow_out