Lyrics

बन्नो म्हारो केसरीयो हजारी गुल रो फूल आंबा में चमके बिजलिया बन्नो म्हारो केसरीयो हजारी गुल रो फूल चंपेसी सी इक इक पांखडिया बन्ना थे तो झटके ही माय बेगा पधारो बनडी जी जोवे बाटलडी बन्नो म्हारो केसरीयो हजारी गुल रो फूल चंपेसी सी इक इक पांखडिया बन्ना थे तो झटके ही महला बेगा पधारो बनडी जी जोवे बाटलडी बन्नो म्हारो केसरीयो हजारी गुल रो फूल चंपेसी सी इक इक पांखडिया बन्ना थे तो झटके ही बागा बेगा पधारो बनडी जी जोवे बाटलडी बन्नो म्हारो केसरीयो हजारी गुल रो फूल चंपेसी सी इक इक पांखडिया
Writer(s): Kapil Jangir, Traditional Lyrics powered by www.musixmatch.com
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